नई दिल्ली। जापान की मदद से चल रहे 17 अरब डॉलर के बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट में भारत मुख्य टारगेट को पूरा करने से चूक सकता है। अधिकारियों का कहना है कि बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिगृहण की दिसंबर तक की डेडलाइन मिस हो सकती है। बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिगृहण में विफलता की वजह से जापान से मिलने वाले सॉफ्ट लोन जारी होने में भी देर हो सकती है।
Bullet train may take a shock, India can miss targets
जापानी एजेंसी अगले महीने इस प्रॉजेक्ट का रिव्यू करने वाली है। यानी पीएम मोदी का अति महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट देरी का शिकार हो सकता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम आॅफिस अब इस प्रॉजेक्ट की हर हफ्ते के आधार पर मॉनिटरिंग कर रहा है। भारतीय अधिकारी तोक्यो को इस बात के लिए आश्वस्त करने में जुटे हैं कि महाराष्ट्र में चीकू और आम उत्पादक किसानों के साथ गहन बातचीत से बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ने वाले बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के 108 किमी हिस्सा पर जमीन अधिगृहण का मामला विरोध-प्रदर्शनों की वजह से फंस गया है। इन विरोधों को स्थानीय नेताओं का समर्थन भी मिल रहा है। 108 किमी का यह हिस्सा कुल बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का पांचवां भाग है। चीकू पैदा करने वाले 62 साल के किसान दशरथ पूरव ने पालकर में अपना बगीचा दिखाते हुए कहा कि इसे तैयार करने में उन्हें तीन दशक लगे। दशरथ ने कहा कि उन्होंने इतनी मेहनत अपने बच्चों के लिए की है न कि बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट को जमीन सरेंजर करने के लिए। उनका कहना है कि वह सरकार को जमीन तभी बेच सकते हैं जब उनके दो बेरोजगार बेटों में से कम से कम एक को सरकारी नौकरी मिले।
जमीन अधिग्रहणों के लिए खिलाफ भारत में प्रदर्शन आम बात हैं। दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक ‘सऊदी अरामको’ द्वारा प्रस्तावित 44 अरब डॉलर की रिफाइनरी परियोजना भी महाराष्ट्र में जमीन हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है। इस प्रॉजेक्ट की देखरेख कर रहे नैशनल हाई स्पीड रेल कॉपोर्रेशन लिमिटेड के प्रवक्ता धनंजय कुमार कहा कहना है कि भारत में किसी प्रॉजेक्ट के लिए जमीन अधिगृहण एक जटिल काम है। उन्होंने कहा कि व्यापक प्रतिरोध की वजह से हमें यहां भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।