सीबीआई विवाद: आलोक वर्मा-राकेश अस्थाना के बीच अनबन का सामने आया बंगाल कनेक्शन

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कोलकाता। देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई के भीतर जारी विवाद का अब बंगाल कनेक्शन सामने आया है। दरअसल, स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने 25,000 करोड़ रुपये के चिट फंड मामले की जांच में कथित तौर पर सहयोग न करने के लिए कोलकाता के पुलिस कमिश्नर पर दबाव बनाया था। इस पर डायरेक्टर आलोक वर्मा ने अस्थाना से सवाल-जवाब किया था। बताया जा रहा है कि दोनों बड़े अफसरों में अनबन की यह एक बड़ी वजह थी। आपको बता दें कि सरकार ने दोनों शीर्ष अफसरों को छुट्टी पर भेजकर महकमे में वरिष्ठता क्रम में नीचे के अफसर एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर की जिम्मेदारी दे दी है।
CBI dispute: Alok Verma and Rakesh Asthana, the Bengal connectio
तीन समन और राजनीति
अस्थाना की निगरानी में हो रही जांच के तहत पिछले साल पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को तीन समन भेजे गए थे। हालांकि उनका कहना था कि सीबीआई का ऐक्शन राजनीति से प्रेरित है। आपको बता दें कि चिट फंड घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के कई हाई-प्रोफाइल नेताओं पर आरोप लगे थे और सीबीआई इसके लिंक की जांच कर रही थी।

पिछले साल अक्टूबर में कुमार ने पहले समन का जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि वह मेल किए गए क्वेस्चनेर का जवाब देने या इस पर किसी भी बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हैं। हालांकि सीबीआई चाहती थी कि वह जांच के लिए खुद उपस्थित हों क्योंकि नोटिस सीआरपीसी के सेक्शन 160 के तहत भेजा गया था।

एक हफ्ते में दूसरा समन
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर बताते हैं कि एक हफ्ते के भीतर ही दूसरा समन भेजा गया। इसके बाद कुमार ने चार साल पुरानी जांच पर राजनीतिक प्रभाव का आरोप लगाते हुए डायरेक्टर को पत्र लिखा। कुमार ने आगाह करते हुए कहा कि अगर सीबीआई ऐसे नोटिस देती रही तो भानुमती के पिटारे को खोल दिया जाएगा।

आलोक वर्मा क्यों हुए नाराज?
सात महीने के बाद एक और नोटिस उन्हें और तीन दूसरे आईपीएस अफसरों को भेजा गया। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकरण ने वर्मा को अपसेट कर दिया क्योंकि यह सब अस्थाना के कोलकाता जाने के बाद हुआ था। वह अगस्त का महीना था जब अस्थाना ने खुद वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सेक्रटरी से लिखित शिकायत की थी।

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि अगर एजेंसी कानूनी विकल्प की तरफ बढ़ती तो कुमार सीबीआई को कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर चुके थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा गठित एसआईटी के एक वरिष्ठ सदस्य के तौर पर कुमार ने चिट फंड मामले की जांच का नेतृत्व किया था। मामले को लेने के बाद सीबीआई ने आशंका जाहिर की थी कि एसआईटी जांच के दौरान महत्वपूर्ण साक्ष्यों से छेड़छाड़ हो सकती है।

5 महीने रोकी गई अहम रिपोर्ट
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई की लोकल यूनिट की एक रिपोर्ट वर्मा के डेस्क पर करीब 5 महीने तक रोकी गई। कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अफसरों ने दावा किया कि राजनीतिक कारणों से सीबीआई कमिश्नर को घेरना चाहती थी। ये अधिकारी नोटिस जारी करने को बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय द्वारा पब्लिक मीटिंग्स में किए गए दावे से भी कनेक्ट करते हैं।