नई दिल्ली। राफेल जेट डील को लेकर भले ही सरकार विपक्षी नेताओं के निशाने पर हो, लेकिन इस बीच केंद्र ने 114 नए फाइटर जेट्स के अधिग्रहण को मंजूरी देने की तैयारी कर ली है। 20 अरब डॉलर यानी करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये के इस सौदे को ‘महाडील’ कहा जा रहा है। बता दें कि 59,000 करोड़ रुपये में 36 फ्रेंच राफेल जेट्स के सौदे को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलवार है। कांग्रेस का कहना है कि उसने महंगे रेट पर यह डील की है।
Center can give approval for the acquisition of 114 new fighter jets between Rafael dispute
डिफेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि निर्मला सीतारमन के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद इस महीने के अंत तक या अगले महीने के शुरूआती दिनों में इस डील के लिए ‘एक्सेपटेंस आॅफ नेसेसिटी’ को मंजूरी दे सकती है। इस डील के तहत कॉन्ट्रैक्ट होने के तीन या 5 साल के भीतर 18 जेट उड़ने की स्थिति में भारत आएंगे।
इसके अलावा बाकी फाइटर जेट्स को स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के तहत भारत में ही तैयार किया जाएगा। कुछ विदेशी विमानन कंपनियों और भारतीय साझीदारों की ओर से इन्हें जॉइंट वेंचर के तहत तैयार किया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि इस डील की रेस में रूसी सुखोई-35 भी शामिल हो गया है।
उसने अप्रैल में भारतीय एयरफोर्स की ओर से जारी रिक्वेस्ट फॉर इन्फर्मेशन और शुरूआती टेंडर के आधार पर अपनी बोली जमा की थी। सुखोई के अलावा इस प्रॉजेक्ट के लिए एफ/ए-18 और एफ-16 (अमेरिका), ग्रिपेन-ए (स्वीडन), मिग-35 (रूस), यूरोफाइटर टाइफून और राफेल ने भी इसके लिए अपनी बोलियां जमा कराई हैं।
चीन और पाकिस्तान की चुनौती से निपटने के लिए वायुसेना इस प्रॉजेक्ट पर तेजी से आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन प्रक्रिया जटिल होने के चलते इसमें समय लगना तय है। इस पूरे कॉन्ट्रैक्ट पर काम शुरू होने में 4 से 5 साल का वक्त लग सकता है। इनमें से एक फाइटर जेट पर 100 मिलियन डॉलर की लागत आएगी, जबकि इतनी ही राशि उस पर ऐड-आॅन होगी।