केंद्रीय बैंक आरबीआई ने लोन लेनेवालों के हक में बड़ा फैसला किया

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नई दिल्ली

देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने लोन लेनेवालों के हक में बड़ा फैसला किया है। अब रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत ब्याज दर में कटौती होते ही होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को मिलने वाले लोन आदि की ब्याज दर में भी तुरंत कटौती की जाएगी। इसका सीधा फायदा लोन लेने वालों को होगा। इससे पहले लोन देने वाले बैंक आरबीआई के रेट कट का फायदा ग्राहकों को पहुंचाने में आनाकानी करते रहे हैं। यही कारण है कि आरबीआई ने सारे बैंकों को सर्कुलर भेजकर स्पष्ट कहा है कि अब वे लोन की ब्याज दरें मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स आधारित लेंडिर रेट यानी एमसीएलआर के आधार पर तय नहीं करेंगे।

इन्हीं तीन में से कोई एक सिस्टम लागू करें बैंक: RBI
आरबीआई ने सर्कुलर के माध्यम से बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि उन्हें फ्लोटिंग रेट पर दिए जाने वाले सभी लोन को एमसीएलआर के बजाय इन तीन बाहरी बेंचमार्कों में से किसी एक से जोड़ना होगा। बैंकों को कहा गया है कि वे आरबीआई के रीपो रेट, तीन महीने या छह महीने के ट्रेजरी बिल यील्ड्स या फाइनैंशल बेंचमार्क्स इंडिया (एफबीआईएल ) द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले किसी बेंचमार्क रेट में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं। FBIL डेट मार्केट रेट्स प्रकाशित करता है। आरबीआई का सर्कुलर कहता है कि यह निर्देश हाउसिंग, ऑटो और पर्सनल लोन के साथ-साथ सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को मिलने वाले लोन पर लागू किया जाना है।

1 अक्टूबर से लागू होगी नई व्यवस्था
रिजर्व बैंक ने गुरुवार को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की एमसीएलआर सिस्टम में नीतिगत दरों में बदलाव को बैंकों के लोन रेट तक पहुंचाना कई कारणों से संतोषजनक नहीं है। इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने पर्सनल, रिटेल और एमएसएमई को दिए जा रहे फ्लोटिंग रेट वाले लोन को 1 अक्टूबर, 2019 से तीन बाहरी मानको में किसी एक से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम-से-कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा। करीब एक दर्जन बैंक पहले ही अपने लोन रेट को रिजर्व बैंक के रीपो रेट से जोड़ चुके हैं।

कितना फायदा?
नई व्यवस्था से ग्राहकों को क्या फायदा होगा, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अपना होम लोन रेट रीपो रेट से जोड़ दिया है। इस कारण एसबीआई का होम लोन पर 8.05% की दर से ब्याज लगता है। यह एमसीएलआर आधारित होम लोन देने वाले बैंकों की ब्याज दर के मुकाबले बहुत कम है। चूंकि अभी आर्थिक सुस्ती का माहौल है, इसलिए पूरी संभावना है कि आरबीआई आगे भी रेट कट करेगा जिससे ग्राहकों को और ज्यादा फायदा मिलना तय है। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि नई व्यवस्था का स्वतः लाभ सिर्फ नए लोन पर ही मिलेगा, पुराने लोन पर नई व्यवस्था लागू करने के लिए बैंक कन्वर्जन चार्ज ले रहे हैं। मसलन, एसबीआई ने कन्वर्जन चार्ज के रूप में लोन अमाउंट का 0.25% तय किया है।

पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने दिया था प्रस्ताव
पहली बार बाहरी पैमानों से लोन रेट को जोड़ने का प्रस्ताव तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल ने 2018 में रखा था। तब बैंकों ने यह कहते हुए विरोध किया था कि उनके फंड्स की लागत मार्केट्स से मेल नहीं खाती। इसके बाद यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया, नहीं तो इस वर्ष अप्रैल से ही यही व्यवस्था लागू हो जाती।

लोन लेने वालों को क्या फायदे?
MCLR रीपो-लिंक्ड लोन
फंड्स पर बैंक की लागत से जुड़ा होता है आरबीआई के लेंडिंग रेट से जुड़ा
आरबीआई के रेट के 4-6 महीने के बाद लागू होता है आरबीआई का रेट कट तुरंत लागू करता है
आरबीआई रेट कट का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता रेट कट का फायदा ग्राहकों को स्वतः मिल जाता है
ज्यादातर बैंकों के लिए MCLR सालाना आधार पर लागू होते हैं तिमाही आधार पर लागू होते हैं
5 से 10 बेसिस पॉइंट्स तक बदलाव प्रायः 25 बेसिस पॉइंट्स या ज्यादा बदलता है
हर महीने समीक्षा हर दूसरे महीने समीक्षा होती है
कम उतार-चढ़ाव ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है
*100 बेसिस पॉइंट = 1% । रीपो- RBI बैंकों को जिस ब्याज दर पर फंड देता है।

ग्राहकों को फायदा नहीं मिलने से RBI नाराज
रिजर्व बैंक इस बात को लेकर काफी नाराज है कि बैंक रीपो रेट में काफी कटौती किए जाने के बाद भी ब्याज दर कम नहीं कर रहे हैं। रिजर्व बैंक 2019 में चार बार रीपो रेट में कुल मिलाकर 1.10% की कटौती कर चुका है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद से अब तक केंद्रीय बैंक 0.85 प्रतिाश्त तक की कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक का कहना है कि उसकी रीपो रेट में 0.85% कटौती के बाद बैंकों ने अगस्त तक केवल 0.30% तक ही कटौती की है। बैंकों का कहना है कि उसकी देनदारियों की लागत कम होने में समय लगता है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक की कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देने में समय लगता है।