नई दिल्ली। सोमवार सुबह के अलमस्त मौसम में जब चैनाराम हलवाई की दुकान खुली तो इसके मालिक हरि गिडवानी ने सोचा भी नहीं होगा कि शाम तक उनका प्रतिष्ठान न सिर्फ पूरी दिल्ली और पूरे देश, बल्कि दुनिया भर की जुबान पर होगा। दरअसल, पुरानी दिल्ली में फतेहपुरी मस्जिद के पास स्थित यह वही रेस्तरां हैं जहां कांग्रेसियों ने एक साथ बैठकर ऐसी पार्टी की कि उनकी पार्टी का दम फूल गया।
हालांकि गिडवानी व यहां के कारिंदों ने छोले-भटूरे प्रकरण पर कोई बात नहीं की। देसी घी में छनकर निकले यहां के व्यंजनों की खुशबू 117 साल पुरानी है। विदेशी भी यहां के मुरीद हैं। साल 1901 में सिंधी व्यापारी नीचा राम ने अपने भाइयों के साथ इस दुकान की शुरूआत की थी। आज उनकी पांचवी पीढ़ी मिठास और स्वाद की यह विरासत संभाल रही है।
लोग दूर-दूर से आते हैं यहां के व्यंजन का स्वाद लेने
शुद्ध घी में बना गाजर हलवा, मूंग हलवा, सोहन हलवा, पिस्ता हलवा के साथ कराची हलवा खाने दूर-दराज के लोग आते हैं। जब चैनाराम के व्यंजनों की खुश्बू किसी तक पहुंचती है तो उसमें राहगीर का रास्ता रोक लेने की ताकत होती है। हालांकि कोई कांग्रेसी शायद ही इस राह से अब गुजरे, क्योंकि दूध का जला तो छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।