कांग्रेस में विभाजन के आसार

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राकेश

देश में कांग्रेस सियासत का वो ‘अमीबा’ है जो विभाजित होकर भी कभी मरा नहीं अपितु लगातार नए-नए रूपं में देश की राजनीति में ज़िंदा बना रहा ।लगातार बूढ़ी होती कांग्रेस इस समय इस सदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और कांग्रेस के भीतर इतना तनाव झलक रहा है की किसी भी दिन कांग्रेस में एक नए विभाजन की खबर आ सकती है ।कांग्रेस यदि विभाजित हुई तो इस बार कांग्रेस का विभाजन श्रीमती सोनिया गांधी के इटली मूल के होने के मुद्दे पर नहीं बल्कि राहुल गांधी की वजह से होगा ।

जैसा मैंने पहले ही कहा की कांग्रेस सियासत की ऐसी एक कोशीय पार्टी है जो लगातार विभाजित होकर भी पिछले सवा सौ साल में न समाप्त हुई और न ही सियासी परिदृश्य से गायब हुई ।पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस की नई पीढ़ी में निराशा लगातार बढ़ रही है ।दिल्ली में शीला दीक्षित के पुत्र बिफर रहे हैं हैं तो हरियाणा में तंवर पार्टी से किनारा कर गए हैं। महाराष्ट्र में संजय निरुपम की हताशा सामने आ ही चुकी है और मध्यप्रदेश में पार्टी के माहसचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के तेवर खासे गर्म हैं ।ये वे सूबे हैं जहाँ कांग्रेस वर्षों तक सत्ता में रही,खारिज की गयी और फिर वापस लौटीं।

इस समय कांग्रेस को हरियाणा और महाराष्ट्र में विधान सभा के रण में बिना किसी कप्तान के उतरना पड़ रहा है। कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी अंतर्ध्यान हैं और पार्टी की काम चलाऊ अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी स्वास्थ्य संबंधी कारणों से काम कर नहीं पा रहीं है ।कांग्रेस की उम्मीद की किरण श्रीमती प्रियंका बाड्रा का फॉक्स फिलहाल उत्तर प्रदेश पर है और वे अपने पीटीआई के सर्कार के रडार पर होने से भी उलझी हुईं हैं ।मोठे तौर पर देखें की राहुल गांधी की टीम हासिये पर है और राजीव गांधी की टीमम ही जैसे -तैसे मोर्चे पर खड़ी दिखाई देती है ,जबकि अब यह टीम भी उम्रदराज हो चली है ।
कांग्रेस का कुनवा आज भी देश में अलग-अलग नामों से फैला हुआ है। महाराष्ट्र में एनसीपी कांग्रेस का ही कुनवा है। एनसीपी का गठन 1999  में शरद पवार की अगुवाई में हुआ था ।

1997  में ममता बनर्जी बंगाल में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस हो गयीं थीं ।कांग्रेस को 1951 में जे कृपलानी ने तोड़ा और किसान मजदूर प्रज्ञा पार्टी बनाई ।कांग्रेस से अलग होकर एनजी रंगा ने हैदराबाद में स्टेट प्रजा पार्टी बनाई। 1967 में चौधरी चरण सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का साथ छोड़ा और भारतीय क्रांति दल बनाया। कांग्रेस का सबसे बड़ा विभाजन 1977 में खुद  इंदिरा गांधी ने किया और अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस [आई]रखा  रखा। 1986 में प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस का दामन छोड़ कर राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी का गठन किया। 1994 में नारायण दत्त तिवारी की अगुवाई में कांग्रेस से अलग ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस का गठन किया गया।

कांग्रेस टूट कर ही मजबूत हुई है,लगता है की इस बार भी यदि कांग्रेस टूटी तो फिर से मजबूती के साथ खड़ी हो सकती है ,लेकिन कांग्रेस कभी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी ये नामुमकिन दिखाई देता है ।कांग्रेस के पास अभी भी ऐसे अनेक नेता हैं जो कांग्रेस में जान फूंक सकते हैं लेकिन उसे एक पार्टी की तरह चलाने के लिए उनके पास शायद पैसा नहीं है और जिनके पास पैसे हैं वे पार्टी चलाने की हैसियत नहीं रखते ।इस दुर्दिन से कांग्रेसको बाहर निकालने में कितना समय लगेगा कहा नहीं जा सकता ।कांग्रेस के पास अभी टूटकर बिखरने और फिर से एक होने के लिए पूरे पांच साल हैं ।आने वाले दिनों में कांग्रेस में यदि नया नेतृत्व न उभरा तो उसका विभज होगा और बहुत मुमकिन है की कांग्रेस को नया नेतृत्व राहुल गांधी की टीम से ही मिले ।

कांग्रेस की दुदर्शा का सीधा लाभ भले ही भाजपा को हो रहा हो लेकिन देश के लिए और लोकतंत्र के लिए ये शुभ संकेत  नहीं है। इस समय सत्तारूढ़ भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस को छोड़ कोई दूसरा दल नहीं है जो पूरे देश में भाजपा का मुकाबल कर सके ।वाम पंथियों समेत तमाम राजनितिक दलों की हैसियत आज भी क्षेत्रीय दलों जैसी है फिर चाहे वो समाजवादी हों या बसपाई या कोई और ।सबके अपने-अपने सूबे और वोट बैंक हैं लेकिन किसी के पास भी उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक न जनाधार है और न ही संगठन ।जिन दलों में राष्ट्रीय दल बनने की संभावनाएं थीं वे भी उन्हें खुद ही समाप्त कर चुके हैं ।
मुझे लगता है की अब कांग्रेस के कायाकल्प में अधिक देर नहीं होना चाहिए ,क्योंकि देर होने से शून्य और बढ़ता जाएगा ।देश को इस समय एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। संसद के बाहर भी और संसद के भीतर  भी। बिना मजबूत विपक्ष के सियासत रीनी -रीनी सी लगने लगी है ,इसे सरस् बनाये रखना आवश्यक है अन्यथा बेपटरी राजनीति लोकतंत्र को जिस दिशा में ले जाएगी वहां खतरे ही खतरे हैं ।चलिए देखते जाइये की तेल और तेल की धार का रुख क्या होता है ?