नई दिल्ली
चांद पर एक-एक दिन बीतने के साथ ही इसरो के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क की कोशिशें भी धूमिल होती दिखाई दे रही हैं। 21-22 सितंबर को चांद पर अंधेरा छा जाएगा जिसके बाद से विक्रम से संपर्क साधने की सारी उम्मीदें खत्म हो जाएंगी। इसरो के वैज्ञानिक दिन-रात विक्रम से संपर्क की कोशिशों में लगे हुए हैं।
इसरो की मदद के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए है। नासा के ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन विक्रम लैंडर से कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
चांद पर दिन वाला समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। मतलब, 20-21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। वर्तमान में चंद्रमा पर शाम हो गई है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का जीवनकाल भी 14 दिनों का ही है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) चंद्रमा के उस जगह की तस्वीरें लेगा जहां सात सितंबर की अल सुबह विक्रम लैंडर ने हार्ड लैंडिंग की थी। हालांकि इस समय वहां शाम होने लगी है इसलिए यह तस्वीर कितनी साफ आएगी इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।