नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कथित रूप से रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात का इस्तेमाल किए जाने को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भाजपा हताश है और अर्थव्यवस्था से संबंधित तथ्यों को छिपा रही है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि वह पहले की जिन सरकारों में शामिल रहे हैं, उन सरकारों ने कभी रिजर्व बैंक कानून, 1934 की धारा सात का इस्तेमाल नहीं किया।
Chidambaram speaks to the government on the use of Section 7 on the attack, said the BJP hiding the facts of the economy
बुधवार को चिदंबरम ने एक के बाद एक ट्वीट में कहा, “यदि जैसी खबरें हैं कि सरकार ने रिजर्व बैंक की धारा सात का इस्तेमाल किया है और रिजर्व बैंक को अप्रत्याशित निर्देश दिया है, तो मुझे डर है कि आज कहीं और बुरी खबरें सुनने को न मिल जाएं।” उन्होंने कहा कि हमने 1991 या 1997 या 2008 या 2013 में धारा सात का इस्तेमाल नहीं किया।
इसे अब अमल करने का क्या औचित्य है? इससे पता चलता है कि सरकार तथ्यों को छिपा रही है और हताशा में है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति को लेकर आज तक कभी भी इस्तेमाल नहीं किए गए अधिकार का जिक्र किया था। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश देने का उल्लेख किया।
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कम से कम तीन बार अलग-अलग मुद्दों पर धारा सात (1) का उल्लेख किया। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस विशेष धारा के तहत कोई कदम नहीं उठाया है।
सरकार को यह है विशेषाधिकार
रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात केंद्र सरकार को यह विशेषाधिकार देती है कि वह केंद्रीय बैंक के असहमत होने की स्थिति में सार्वजनिक हित को देखते हुए गवर्नर को सीधे निर्देश दे सकती है। सरकार बैंकों में त्वरित सुधारात्मक कदम की रूपरेखा से लेकर नगदी प्रबंधन तक के मुद्दों पर रिजर्व बैंक से असहमत है।