जीडीपी वृद्धि दर आंकड़ों पर मचा राजनीतिक घमासान, चिदंबरम ने सरकार के कदम को बताया खराब जोक

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नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल के अधिकांश वर्षों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया। उम्मीद के मुताबिक इस पर राजनीतिक घमासान और शब्द बाण चलने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर सरकार की निंदा की। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी मोदी सरकार के इस कदम को बहुत खराब जोक बताया।
Chidambaram told government’s move to declare GDP growth rate figures as bad joke
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने नीति आयोग के आंकड़े को बहुत बुरा मजाक बताते हुए कहा, ‘नीति आयोग का संशोधित जीडीपी आंकड़ा दरअसल एक जोक है। एक बहुत ही खराब जोक। ये आंकड़े किसी सम्मानित कदम को ठेस पहुंचाने भर के लिए जारी किए गए हैं।’ हालांकि, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने भी चिदंबरम के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी न सिर्फ सीएसओ की बौद्धिक और तकनीकी क्षमता को कमतर बताने की कोशिश कर रही है बल्कि 10 जाने-माने सांख्यिकी के विद्वानों जिन्होंने इस पूरी रिपोर्ट की समीक्षा की और इस डेटा को तैयार करने में योगदान दिया, उनके महत्व को भी कम कर रही है।’

बता दें कि सरकार ने आंकड़ों को 2004-05 के आधार वर्ष के बजाय 2011-12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया है, ताकि अर्थव्यवस्था की अधिक वास्तविक तस्वीर सामने आ सके। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी ताजा समायोजित आंकड़ों के अनुसार 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही थी। जबकि इसके पहले 10.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।

सरकार ने यूपीए शासन के जीडीपी डेटा को घटाया
कांग्रेस पार्टी की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा, ‘मोदी सरकार और इसकी कठपुतली नीति आयोग को विश्वास है कि 2+2=8 होते हैं। यही इनका दिखावटीपन, चालबाजी, भ्रम फैलाने का कारोबार है जिसे बैक डेटा के तौर पर बेचा जा रहा है।’ हालांकि राजनीतिक गहमा-गहमी और आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्य सांख्यिकीविद् ने कहा कि डेटा रिपोर्ट तैयार करने के लिए ज्यादा सटीक शैली का प्रयोग किया गया है जिसकी वैश्विक स्तर पर भी प्रयोग किया जा रहा है।