पेइचिंग। चीन ने बुधवार को संकेत दिया है कि वह न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में प्रवेश को रोकने का काम जारी रखेगा। चीन का यह रवैया पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच पिछले साल अप्रैल से अब तक तीन बार हुई अच्छी मुलाकातों के बावजूद जारी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि न्यूक्लियर नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रिटी की ऐप्लिकेशन को लेकर दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। चीन को लगता है कि भारत जैसे देश, जिन्होंने न्यूक्लियर नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रिटी (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, उन्हें एनएसजी में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।
China will continue to keep India out of NSG
भारत का मानना है कि उसने भले ही एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन परमाणु अप्रसार के अच्छे रेकॉर्ड के कारण उसे इस ग्रुप में प्रवेश मिलना ही चाहिए। गेंग ने भारत का नाम लिए बगैर कहा, ‘हमें लगता है कि हमें इस बारे में पर्याप्त चर्चा की आवश्यकता है और संधि लागू करने में दोहरे मानकों का विरोध करके व्यावहारिक उपायों की तलाश करें।’ पेइचिंग में यूनाइटेड नेशन सिक्यॉरिटी काउंसिल के स्थायी पांच सदस्यों की मीटिंग से पहले यह बयान सामने आया है। यूएनएससी की यह मीटिंग परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर थी।
गेंग ने कहा, ‘हमारा मानना है कि हमें अपने अधिकार, प्रभावशीलता, सार्वभौमिकता को बढ़ाना चाहिए और परमाणु प्रसार को रोकने के लिए बेहतर काम करना चाहिए। इसके अलावा हमारा मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बहुपक्षीयता के साथ रहना चाहिए और परमाणु ऊर्जा के गैर-प्रसार, निरस्त्रीकरण और शांतिपूर्ण उपयोग के लिए बढ़ावा देना चाहिए।’ कुछ जानकारों का मानना है कि चीन भारत को तब तक इस ग्रुप से बाहर रखने की कोशिश करता रहेगा, जब तक उसका मित्र देश पाकिस्तान इस ग्रुप में शामिल होने लायक नहीं बन जाता है। बता दें कि एनएसजी न्यूक्लियर सप्लायर देशों का समूह हैं, जो परमाणु अप्रसार के लिए सहयोग देता है।