सीएम शिवराज पहली बार सपाक्स अधिकारियों से हुए रूबरू, की प्रदेश में समरसता बनाने में मदद की अपील

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भोपाल। प्रदेश में जातिवाद की आग सुलगने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को पहली बार सपाक्स (सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था) के पदाधिकारियों से रूबरू हुए। उन्होंने संस्था से प्रदेश में समरसता बनाने में मदद की अपील की है। 15 मिनट चली चर्चा में एट्रोसिटी एक्ट, पदोन्नति में आरक्षण, संस्था की मान्यता और बैकलॉग पदों पर भर्ती को लेकर बात हुई।
CM Shivraj for the first time, appeals for helping to build harmony in the state of Bihar
सात महीने बाद मुख्यमंत्री चौहान ने संस्था के पदाधिकारियों को सीएम हाउस बुलाया था। यहां ‘माई के लाल” बयान पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा आशय ऐसा नहीं था। वहीं संस्था की अन्य मांगों पर सहृदयता से विचार करने का भरोसा दिलाया है। प्रतिनिधिमंडल में संस्था के संस्थापक सदस्य अजय जैन, पूर्व अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह, अध्यक्ष केएस तोमर, उपाध्यक्ष रक्षा दुबे, डीएस भदौरिया, सचिव राजीव खरे, जेएस गुर्जर और राजेश तिवारी शामिल थे।

गलती सुधारेंगे
संस्था ने बैकलॉग के रिक्त डेढ़ लाख पदों की गणना में गड़बड़ी की आशंका जताई। साथ ही इन पदों पर नियुक्ति में अनारक्षित वर्ग को भी शामिल करने की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने पदों की गणना में हुई गलती को सुधारने का भरोसा दिलाया है। पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट का फैसला आने दें, फिर देखेंगे।

जबकि एट्रोसिटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी से पहले जांच की मांग पर सीएम बोले कि मामले में शासन उचित कार्यवाही कर रहा है। संस्था की मान्यता का मुद्दा भी इस दौरान चर्चा में आया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं तो पहले ही मान्यता देने का कह चुका हूं। अब तत्काल कार्यवाही करेंगे। संस्था ने सहायक प्राध्यापकों की भर्ती में गड़बड़ी की भी शिकायत की। पदाधिकारियों ने कहा कि इस भर्ती में आरक्षण और रोस्टर निर्धारण में गंभीर अनियमितता हुई है।

कौन नहीं कर रहा मदद
सीएम की प्रदेश में समरसता बनाने में मदद की अपील पर संस्था के पदाधिकारियों ने उनसे कहा कि कौन मदद नहीं कर रहा है, ये साफ है। अनारक्षित वर्ग ने छह सितंबर को भारत बंद रखा था, जो शांतिपूर्ण रहा और आरक्षित वर्ग ने दो अप्रैल को भारत बंद किया था। उसके परिणाम आपके सामने है।