लखनऊ। क्या नोएडा का ‘मनहूस’ साया यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पीछे लग गया है? उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद यह सवाल उठ रहा है। पिछले साल दिसंबर में योगी आदित्यनाथ ने नोएडा की यात्रा कर इस अंधविश्वास को तोड़ने की बहादुरी दिखाई थी कि जो नोएडा आता है, वह हार जाता है। लेकिन इसके बाद से यूपी में 4 चुनावों में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है।
CM Yogi is going to go to Noida, the reason for defeat in UP
दरअसल नोएडा के ‘मनसूह साये’ वाले अंधविश्वास की शुरूआत 1980 के दशक में वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल के दौरान हुई थी। तब नोएडा ट्रिप से लौटने के तुरंत बाद उन्हें पार्टी ने हटा दिया था। इसके बाद से यूपी के मुख्यमंत्रियों ने अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाने से परहेज करने लगे।
राजनाथ सिंह जब यूपी के सीएम बने तो अपने कार्यकाल में वह भी नोएडा नहीं गए। 2011 में मेट्रो सर्विस के उद्घाटन के लिए मायावती नोएडा आईं थीं और 2012 में उन्हें समाजवादी पार्टी के हाथों सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इसके बाद सीएम रहते हुए अखिलेश यादव ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा जाने का कभी नाम भी नहीं लिया। उन्होंने अपने लखनऊ आवास से एनसीआर के बड़े प्रॉजेक्ट्स का उद्घाटन किया। हालांकि इसके बावजूद बीजेपी ने 2017 के चुनाव में एसपी को हरा अखिलेश को सत्ता से बेदखल कर दिया।