शशी कुमार केसवानी
आम, भारत में जितना लोक-प्रिय हैं, उतना और कहीं नहीें अमेरिका और यूरोप में तो बहुत कम दावतों पर ये होता हैें आप किसी के यहाँ भोजन पर आमंत्रित भी होंगे तो भी आम नज़र नहीं आएगा।
पर भारत में हर दावत में, आम किसी न किसी रूप में नज़र आ जाता हैं जैसे की आम रस, मिठाई में और अन्य कई रूपों मेें जबकि दुसरे फलों के मुकाबले, आम को खाना कोई आसान काम नहीें इसके बावजूद लोग इसे बहुत शौख से खातें हैें
शायर अकबर इलाहाबादी ने कभी कहा था
‘नाम न कोई यार को पैग़ाम भेजिए,
इस फ़सल में जो भेजिए, बस आम भेजिए.’
तो वही मुनवर राणा कहते हैं ..
हम इन्सान के हाथों कि बनाई नही खाते।
आम के सीजन में मिठाई नही खाते।