नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बड़ा झटका देते हुए उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि यदि कोई जांच एजेंसी किसी आरोपी के खिलाफ जांच करते हैं और उसे गिरफ्तार कर लेती है तो उसकी अग्रिम जमानत याचिका अपने आप निष्प्रभावी हो जाती है। यदि आप जमानत चाहते हैं तो उसके लिए उचित अदालत में जाएं।
आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को उनके आवास से गिरफ्तार किया था। सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले की जांच कर रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। अदालत में जिरह करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा मुझे मौका नही मिला। यदि प्रक्रिया ऐसी चलेगी तो कैसे चलेगा। जिसपर अदालत ने कहा कि प्रक्रिया को लेकर वह अलग से अर्जी दाखिल करें। सिब्बल ने कहा कि यह मौलिक अधिकार का मामला है। मेरे पास कानून के तहत सुनवाई का अधिकार है।
इससे पहले याचिका लिस्टिंग नहीं होने के कारण सुनवाई शुरू नहीं हो पाई थी। चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद पी. चिदंबरम की सीबीआई के रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है। जिसपर अदालत ने कहा कि रजिस्ट्री को इस संबंध में मामले को सूचीबद्ध करने के लिए आवश्यक कार्य करना होगा।
स्पेशल कोर्ट ने 22 अगस्त को फैसला सुनाते हुए चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेजा था। जस्टिस अजय कुमार कुहार ने कहा था कि चिदंबरम के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, इनकी गहराई से जांच जरूरी है। आईएनएक्स मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और सीबीआई ने भ्रष्टाचार का केस दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को सुनवाई करते हुए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मामले में 26 अगस्त तक चिदंबरम को गिरफ्तार न करने के लिए कहा था।
सिब्बल ने कहा था- न्याय पाना चिदंबरम का बुनियादी हक
चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को कोर्ट में कहा था, ‘‘इंसाफ पाना चिदंबरम का मूल अधिकार है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। लेकिन जिस तरह से मामले को डील किया जा रहा है, वह बेचैन करने वाला है। हाईकोर्ट में जिरह खत्म होने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस गौर को नोटिस दे दिया। हमें जवाब देने का भी मौका नहीं दिया गया।’’
इस पर मेहता ने कहा था, ‘‘गलत बयानी मत कीजिए। बहस खत्म होने के बाद मैंने कोई नोटिस नहीं दिया।’’ सिब्बल बोले कि क्या कसम खाकर ऐसा कह सकते हैं? सिब्बल के मुताबिक, ‘‘हाईकोर्ट का फैसला शब्दश: यहां है। कॉमा की जगह कॉमा और पूर्णविराम की जगह पूर्णविराम लगा है। कॉपी में सबकुछ है, लिहाजा यही चिदंबरम को जमानत न देने का आधार बन गया।’’
वित्त मंत्री रहते हुए विदेशी निवेश की मंजूरी दी थी
आरोप है कि चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए रिश्वत लेकर आईएनएक्स को 2007 में 305 करोड़ रु. लेने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाई थी। जिन कंपनियों को फायदा हुआ, उन्हें चिदंबरम के सांसद बेटे कार्ति चलाते हैं। सीबीआई ने 15 मई 2017 को केस दर्ज किया था। 2018 में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। एयरसेल-मैक्सिस डील में भी चिदंबरम आरोपी हैं। इसमें सीबीआई ने 2017 में एफआईआर दर्ज की थी।