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शशी कुमार केसवानी
मध्यप्रदेश में इस समय कड़ाके की सर्दी है, लेकिन सियासी सरगर्मी लगातार परवान चढ़ती हुई नजर आ रही है। इसके पीछे वजह भी साफ है साल 2023 मध्यप्रदेश में चुनावी साल है, भाजपा के सामने जहां एक बार फिर सरकार बनाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस भी प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि बूथ स्तर पर संगठन मजबूत है। सभी 65 हजार बूथ अध्यक्ष बना दिये गए हैं। हर बूथ को जीतने का लक्ष्य है। पीसीसी चीफ कमलनाथ भली भांति जानते हैं कि अगर एक बार फिर से प्रदेश कि सत्ता का सिंहासन हासिल करना है, तो बूथ पर जमकर काम करना होगा। यही वजह है कि कांग्रेस ने बूथ स्तर पर अपनी पुख्ता रणनीति तैयार कर ली है, पार्टी की मानें तो सभी बूथों पर संगठन को सक्रिय कर दिया गया है। बूथ अध्यक्षों को जमीन से सोशल मीडिया तक सक्रिय रहने की हिदायत दी गई है। इन सभी गतिविधियों पर पीसीसी लगातार निगरानी भी रख रहा है। पार्टी के दिशा निर्देश बूथ स्तर तक पहुंचाने के लिए बूथ प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है। कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष अजय यादव ने बताया कि बूथ लेवल पर हम जनता तक कांग्रेस की रीति नीति और विजन पहुंचाने का काम करेंगे।
बूथ स्तर पर मजबूत तैयारी के जरिए प्रदेश का चुनावी रण जीतने की कांग्रेस की कवायद पर भाजपा ने कहा नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को बूथ पर बैठाने के लिए कार्यकर्ता नहीं मिले थे। एजेंसी के लोगों को बूथ पर बैठाया गया था। सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस की कोई सक्रियता नहीं है। क्योंकि कांग्रेस के ही लोग कमलनाथ की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें शेयर और रीट्वीट नहीं करते। कांग्रेस में पहले भी शून्य बटे सन्नाटा था और अभी भी वही हाल है। चंद महीनों बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने अपने सभी मोर्चा संगठन और प्रकोष्ठों को भी एक्टिव कर दिया है। इसके साथ ही अपने से संबंधित वर्गों को पार्टी के साथ जोड़ने का जिम्मा दिया है। बहरहाल देखना होगा कि साल 2023 के चुनावी समर में कौन से दल की रणनीति ज्यादा कारगर साबित होती है और जनता किसे सत्ता का सरताज बनाती है।