भाजपा का कांग्रेसीकरण : ये अच्छे संकेत नहीं हैं

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सुधीर निगम, वरिष्ठ पत्रकार


कांग्रेस की गलत नीतियों और कुछ गलत फैसलों ने पार्टी को यहां तक पहुंचा दिया था कि उसके अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे थ। उसकी यही कमजोरी भाजपा के लिए बूटी बनी और आज प्रदेश के साथ देश पर शासन का भरपूर मौका मिला है। केंद्र में तो अगले कुछ वर्षों तक उसकी ही संभावना है, लेकिन प्रदेशों में स्थिति कुछ बदलती नजर आ रही है।
इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण लगता है, वो है भाजपा का धीरे-धीरे कांग्रेसीकरण हो जाना। और हमारे लोकतांत्रिक देश के लिए ये संकेत अच्छे नहीं हैं। पहले कांग्रेस में ही आपसी सिर फुटव्वल देखने को मिलता था, अब भाजपा में ये सामान्य बात हो गई है। पिछले दिनों सागर जिले को लेकर जो हुआ, वो सबके सामने है। वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत सहित कई विधायकों ने दूसरे मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सामूहिक इस्तीफे तक बात पहुंच गई। खैर अभी तो उस असंतोष को किसी तरह मैनेज कर लिया गया है, लेकिन ये चिंगारी कब आग का रूप ले लेगी, कहा नहीं जा सकता। उधर, कटनी के पूर्व विधायकों ने भी विरोध के सुर छेड़ दिये हैं।

वो सब कांग्रेस से भाजपा में आये संजय पाठक से परेशान हैं। उनका आरोप है कि पाठक के आगे पुराने खांटी भाजपाइयों की नहीं सुनी जाती। कमोबेश यह स्थिति हर उस जगह है, जहाँ पर कांग्रेस से भाजपा में आए नेता विधायक बने हैं। और इनकी बड़ी संख्या है। भाजपा में संगठन को जो महत्व रहा है, वह सत्ता का स्वाद चखने के बाद धीरे-धीरे कुछ कम होता दिख रहा है। सत्ता के अनुसार संगठन को चलाने का खामियाजा कांग्रेस अच्छे से भुगत चुकी है। वही लक्षण भाजपा में भी नजर आ रहे हैं। केंद्र हो या राज्य सभी जगह संगठन, सत्ता का अनुगामी बनता जा रहा है। भाजपा कैडर आधारित दल रहा है, लेकिन सत्ता के साथ उसमें दरार पड़ने लगी है। वह भी कांग्रेस की गति को प्राप्त होती दिख रही है।

अपने पुराने कार्यकतार्ओं की अनदेखी और बाहर से आए लोगों को महत्व देने से तमाम दुश्वारियां सामने आ रही हैं। बाहर से आए नेताओं का भाजपा की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। वो तो सिर्फ सत्ता के लालच में भाजपा का गुणगान कर रहे हैं। भाजपा का नेतृत्व भी ये जानता है, लेकिन वह भी समय की नजाकत को देख कर शांत है। आने वाले वक्त में ये शांति नहीं दिखेगी। इस स्थिति को 40-45 साल पहले शरद जोशी जी ने बखूबी पहचान लिया था। तभी उन्होंने लिखा था कि कांग्रेस अमर है वह मर नहीं सकती। तभी उन्होंने लिखा था कि कांग्रेस अमर है वह मर नहीं सकती। उसके दोष बने रहेंगे और गुण लौट-लौट कर आएँगे। जब तक पक्षपात ,निर्णयहीनता ढीलापन, दोमुंहापन, पूर्वाग्रह, ढोंग, दिखावा, सस्ती आकांक्षा और लालच कायम है, इस देश से कांग्रेस को कोई समाप्त नहीं कर सकता। कांग्रेस कायम रहेगी। दाएं, बाएँ, मध्य, मध्य के मध्य, गरज यह कि कहीं भी किसी भी रूप में आपको कांग्रेस नजर आएगी। इस देश में जो भी होता है अंततः कांग्रेस होता है। जनता पार्टी भी अंततः कांग्रेस हो जाएगी। जो कुछ होना है उसे आखिर में कांग्रेस होना है। तीस नहीं तीन सौ साल बीत जाएँगे, कांग्रेस इस देश का पीछा नहीं छोड़ने वाली।