कोर्ट ने दी राहत, एट्रोसिटी एक्ट मामले में आरोपी करेगा पुलिस मदद तो नहीं होगी गिरफ्तारी

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ग्वालियर। केन्द्र सरकार ने भले ही एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन करके आरोपी को अग्रिम जमानत पर छोड़ने का प्रावधान खत्म कर दिया है, लेकिन पुलिस के ऊपर सीआरपीसी की धारा 41 के प्रावधान लागू होंगे। ऐसे अपराध जिनमें सात साल से कम की सजा है, उसमें गिरफ्तारी जरूरी नहीं है।
Court will provide relief to the Atrocity Act, police will not help if arrested
हाईकोर्ट ने एट्रोसिटी एक्ट के मामले में न्याय का सिद्धांत प्रतिपादित (न्याय दृष्टांत) करते हुए आदेश दिया कि अगर आरोपी पुलिस के बुलाने पर थाने पहुंच रहा है और जांच में पूरा सहयोग कर रहा है तो उसकी गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने आरोपी मंगाराम झा को बड़ी राहत दी है। अब एट्रोसिटी एक्ट में उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी।

सुपावली गांव निवासी शिक्षक मंगाराम झा व राहुल झा के खिलाफ जितेन्द्र ने बिजौली थाने में शिकायत दर्ज कराई। जितेन्द्र ने थाने में बताया कि मैं मंगाराम के पास अपने बच्चे की पढ़ाई को लेकर शिकायत करने गया था। जब उनके पास पहुंचा तो उन्होंने जाति सूचक गालियां देकर अपमानित किया।

पैरों में डंडा भी मारा था। जितेन्द्र की शिकायत पर पुलिस ने मंगाराम व राहुल के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट व मारपीट का केस दर्ज कर लिया। केस दर्ज होने के बाद मंगाराम व राहुल ने जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया, लेकिन उसे खारिज कर दिया।
इस आदेश के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील फाइल की।

न्यायमूर्ति शील नागू ने अपील की सुनवाई की। सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। न्यायमूर्ति ने अपील पर फैसला सुनाते हुए न्याय का सिद्धांत प्रतिपादित किया है। इस केस में आरोपी की गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्नेश कुमार केस में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस केस में बिना जांच के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और आरोपी को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाए। सिर्फ गंभीर किस्म के अपराध में गिरफ्तार किया जा सकता है।