औद्योगिक घरानों का कर्ज माफ हो सकता है तो किसानों का क्यों नहीं: कमलनाथ

0
407

भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सरकार बनने के 10 दिन के अंदर किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा करने के लिए कमर कस ली है। प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक इंटरव्यू में साफ किया कि किसानों की कर्जमाफी कांग्रेस सरकार की मुख्य प्राथमिकता होगी। उधर बीजेपी के सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा है कि किसान कर्ज लेकर आधे पैसे से बच्चों के लिए बाइक खरीदते हैं और आधे से खेती का काम करते हैं, इस वजह से उनका कर्ज चुकता नहीं हो पाता। वहीं, टीओआई को दिए इंटरव्यू के दौरान कमलनाथ ने सवाल किया कि अगर उद्योगपतियों का कर्ज माफ हो सकता है तो किसानों का क्यों नहीं। प्रस्तुत हैं इस इंटरव्यू के खास अंश:
Debt of industrial houses can be waived, why not farmers: Kamal Nath
सवाल- कांग्रेस ने दावा किया है कि सरकार बनाने के 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। हालांकि, पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि कृषि कर्ज माफी से राज्य में भारी वित्तीय समस्याएं पैदा हो जाएंगी। आपका क्या मानना है
जवाब- अगर रघुराम राजन को गांवों की समझ है तो उन्हें ही बोलने दीजिए। वह बताएं कि उन्होंने कितने साल गांवों और खेतों में बिताए हैं, क्योंकि मैं इस बात से डरने वाला नहीं हूं कि अर्थशास्त्री अपने कमरों में बैठकर क्या कहते हैं। आज किसान कर्ज में ही पैदा होता है और सारी जिंदगी कर्ज तले ही दबा रहता है। कृषि कर्जमाफी आज की जरूरत है। यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था का पैमाना पैसा नहीं बल्कि यहां की जनता है।

सवाल- आप केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री रह चुके हैं…

जवाब- हां, मैं वाणिज्य मंत्री रह चुका हूं और जानता हूं कि अर्थव्यवस्था कैसे चलती है। राज्य में 70 प्रतिशत लोगों का जीवन कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। केवल किसान ही नहीं, यहां ऐसे लोग भी हैं जो ग्रामीण इलाकों में परचून की दुकान चलाते हैं और कुछ लोग खेतों में ट्रैक्टर चलाते हैं। कृषि क्षेत्र में ऐसे गरीब भी हैं जो मजदूरी पर निर्भर हैं। ये परचून की दुकान, मजदूरों का वेतन कृषि क्षेत्र की क्रय शक्ति पर निर्भर है। भोपाल और इंदौर के बाजारों से सामान खरीदने कौन आता है नई दिल्ली में रहने वाले तो नहीं आएंगे। राज्य में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, हमें पहले इस हकीकत को स्वीकार कर लेना चाहिए। यह कृषि क्षेत्र ही है जो इन बाजारों को सपोर्ट करता है।

सवाल- शिवराज सिंह चौहान सरकार ने भी ऐलान किया था कि वह खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। फिर गलती कहां हो गई

जवाब- इस बात का विश्लेषण कीजिए कि पिछले चार साल किसान क्यों घाटे में रहे इस दौरान अधिकता की समस्या थी। राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ गया था। संकट कमी की वजह से नहीं पैदा हुआ। सरकार ने उत्पादन में वृद्धि के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार तो स्वीकार किया लेकिन इस अनाज की खरीद नहीं हुई। अगर सरकार ने मंडियों की संख्या बढ़ाई होती तो अपनी उपज बेचने की आस में किसान दिन भर लाइन में न खड़ा रहता। कांग्रेस सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 550 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति क्विंटल किया था। एनडीए ने कितना बढ़ाया अगर बढ़ाया भी तो उन्होंने कितनी सरकारी खरीद की कितने किसानों को एमएसपी का फायदा मिला

सवाल- क्या कर्जमाफी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अच्छा विकल्प है
जवाब- हमारी निश्चित योजना और रणनीति है, जिस पर हम दिसंबर 2018 के बाद बात करेंगे। लेकिन आप इंटरनेट पर जाकर बैंकों की जानकारी लीजिए। देखिए उन्होंने किस तरह उद्योगों और औद्योगिक घरानों का 40 यहां तक कि 50 प्रतिशत तक कर्ज माफ किया है। अगर हम बड़े औद्योगिक घरानों का कर्ज माफ कर सकते हैं तो फिर हम ऐसा खेती के लिए क्यों नहीं कर सकते

सवाल- राजन ने यह नहीं कहा कि उद्योगों की कर्जमाफी से समस्या होगी, फिर कृषि कर्जमाफी से क्यों समस्या होने लगी यह कहा जा रहा है कि इससे राज्य का विकास प्रभावित हो सकता है।

जवाब- खर्चों में कटौती होगी, कर्ज पर शिकंजा कसा जाएगा और संसाधन जुटाए जाएंगे। यह एक नई विचार प्रक्रिया है। हमारे पास विकास का एक नक्शा है जिसे हम जल्द ही सबके सामने लाएंगे। केवल नियम बनाने, विनियमन करने और योजना बनाने से कोई काम नहीं बनेगा। इन योजनाओं ने क्या दिया राज्य में इतने ज्यादा स्वतंत्र बोर्ड और निगम हैं इनका क्या योगदान है

साभार नवभारत टाइम्स