आईडिया और वोडाफोन के मर्जर के बाद नई कंपनी पर नहीं होगा कर्ज का दबाव

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नई दिल्ली। वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी पर कर्ज का दबाव नहीं होगा। ब्रोकरेज फर्म सिटी रिसर्च का मानना है कि टेलिकॉम सेक्टर में कॉम्पिटीशन कम होगा जिससे प्राइसिंग में बढ़ोतरी होगी, रेवेन्यू में तेजी आएगी और कैश फ्लो मजबूत होगा।
Debt pressure will not happen on new company after IDEA and Vodafone merger
सिटी रिसर्च ने एक रिपोर्ट में बताया कि सब्सक्राइबर्स के 4जी की ओर बढ़ने से टेलिकॉम कंपनियों का एवरेज रेवेन्यू पर यूजर बढ़ेगा और इससे वोडाफोन और आइडिया के मर्जर के बाद बनने वाली देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी। हालांकि, इस कंपनी को मार्केट शेयर का कुछ नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केट शेयर के सामान्य होने और टेलिकॉम कंपनियों का नेटवर्क का इस्तेमाल बेहतर होने के बाद नई कंपनी के रेवेन्यू में तेजी आएगी।

सिटी रिसर्च का अनुमान है कि नई कंपनी के पास फाइनैंशल इयर 2024 में कम से कम 30 पर्सेंट का रेवेन्यू मार्केट शेयर होगा। हालांकि, मर्जर के बाद यह शेयर लगभग 37 पर्सेंट होने की उम्मीद है। लेकिन इस कंपनी का रेवेन्यू फाइनैंशल इयर 2019 से 2024 के बीच 2 पर्सेंट के सीएजीआर से बढ़ सकता है। इसके अलावा इसका अफढव फाइनैंशल इयर 2020 में 103 रुपये से बढ़कर 123 रुपये हो जाएगा।

टेलिकॉम इंडस्ट्री का रेवेन्यू फाइनैंशल इयर 2019 में बॉटम आउट होने का अनुमान है और इसके बाद से इसमें बढ़ोतरी शुरू होगी। एनालिस्ट्स का मानना है कि ब्रिटेन में हेडक्वॉर्टर रखने वाली वोडाफोन का ग्लोबल पार्टनरशिप्स में अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड होने से मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी बेहतर स्थिति में होगी।

इस कंपनी का आॅपरेटिंग मार्जिन 14 पर्सेंट के सीएजीआर से बढ़कर फाइनैंशल इयर 2024 तक 39.4 पर्सेंट पर पहुंच जाएगा। सिटी रिसर्च के अनुसार, ‘हमें नई कंपनी के सामने कैश फ्लो की समस्या होने की उम्मीद नहीं है। इस कंपनी के पास मौजूद कैश दो वर्ष तक कैपिटल एक्सपेंडिचर, स्पेक्ट्रम और इंटरेस्ट के भुगतान के लिए पर्याप्त होगा।