नई दिल्ली। तीन साल के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में वापसी करने वाले आम आदमी पार्टी के संगठन सीवाईएसएस के वैकल्पिक राजनीति के दावे झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं। संगठन का दावा था कि वह इस बार ‘वैकल्पिक राजनीति’ के लिए मैदान में है और पैसे की ताकत नहीं दिखाएगी लेकिन महंगी गाड़ियों पर लगे पोस्टर्स इन दावों को गलत साबित कर रहे हैं।
Delhi University students’ union elections: proven to be ‘false’ claims of posters engaged in expensive trains
गुरुवार को जॉइंट सेक्रटरी के लिए सीवाईएसएस कैंडिडेट सन्नी तंवर के नाम वाले पोस्टर कई महंगी गाडियों पर चस्पा मिले और ये गाड़ियां नॉर्थ कैंपस इलाके में घूमती नजर आईं। सीवाईएसएस दिल्ली के अध्यक्ष सुमित यादव का कहना है कि इन कारों को आॅफ-कैंपस कॉलेजो के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और तंवर उतनीं कारों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जितनी विरोधी संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई द्वारा की जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘आज(गुरुवार) हम प्रचार के लिए जाकिर हुसैन कॉलेज गए थे और बारिश में पूरे भीग गए क्योंकि चुनाव में दिखावा करना हमारी पॉलिसी में नहीं है।’ हालांकि यह मुद्दा सोशल मीडिया तक पहुंच गया है और यादव ने वादा किया है कि वह इसकी जांच करेंगे।
इस बार सीवाईएसएस और आइसा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। आइसा हमेशा से डूसू चुनावों के लिए ‘क्लीन कैंपेन’ की पक्षधर रही है। अकसर आइसा के कैंडिडेट्स को पैंफ्लेट्स आदि का इस्तेमाल न करते हुए देखा गया है, जिसके लिए डूसू चुनाव बदनाम है। आइसा के स्टेट सेक्रटरी नीरज कुमार ने कहा, ‘हमारे उम्मीदवार ई-रिक्शा पर प्रचार कर रहे हैं और कागजों का इस्तेमाल नहीं कर रहे क्योंकि हम स्टूडेंट्स के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहते हैं।’ नीरज ने कहा कि हो सकता है तंवर ने चुनावों के लिए अपने रिश्तेदारों की कार ली हो, कारों का इस्तेमाल ट्रांसपॉर्ट के लिए किया जाता है, न कि अन्य लोगों की तरह गुंड़ों-बदमाशों को लाने-ले जाने के लिए।