BJP ने शाहीन बाग-पाकिस्तान; आप ने मुफ्त योजनाओं और कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था-रोजगार के मुद्दों पर फोकस किया

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नई दिल्ली

नई दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान कल (शनिवार 8 फरवरी) होगा। नतीजे 11 फरवरी को आएंगे। प्रचार के दौरान भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) ने पूरी ताकत झोंक दी। वहीं, कांग्रेस इस मामले में पीछे दिखाई दी। कैंपेन के दौरान भाजपा ने करीब 5 हजार इवेंट किए। इनमें रैली, नुक्कड़ सभाएं और रोड शो के अलावा डोर-टू-डोर कैंपेन शामिल हैं। अरविंद केजरीवाल ने अकेले 68 रोड शो और रैलियों में हिस्सा लिया। कांग्रेस के लिए राहुल ने 4 और प्रियंका ने 2 रैलियां कीं। एक रैली में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए। जहां तक मुद्दों की बात है तो भाजपा ने शाहीन बाग का जिक्र खूब किया। आप का फोकस केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं पर रहा। कांग्रेस ने स्थानीय चुनाव में देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार की बात कही।

भाजपा: मोदी, शाह के अलावा 11 मुख्यमंत्रियों ने भी प्रचार किया
दिल्ली चुनाव में भाजपा ने करीब 5000 इलेक्शन इवेंट किए। प्रधानमंत्री मोदी ने 2, अमित शाह ने 35, जेपी. नड्ढा ने 63 और राजनाथ सिंह ने 12 रैलियां कीं। 24 केंद्रीय मंत्रियों और 240 सांसदों के अलावा 11 राज्यों के मुख्यमंत्री भी प्रचार मैदान में उतरे। 1 लाख कार्यकर्ता वोटरों को लुभाने में जुटे। बड़े नेताओं की रैलियों में लगातार शाहीन बाग, कश्मीर, अयोध्या और पाकिस्तान का जिक्र हुआ। मोदी ने शाहीन बाग आंदोलन पर कहा- ये संयोग नहीं प्रयोग है।

आम आदमी पार्टी : केजरीवाल के 68 रोड शो
आप का चुनाव अभियान सिर्फ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इर्दगिर्द रहा। 70 में से 68 विधानसभा सीटों पर केजरीवाल ने रोड शो किए। प्रचार के अंतिम दिन उन्होंने अपनी सीट नई दिल्ली में जनसंपर्क किया। मनीष सिसौदिया भी सक्रिय रहे। हालांकि, गोपाल राय कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रहे। आप केजरीवाल सरकार की फ्री बिजली-पानी के अलावा मोहल्ला क्लीनिक और स्कूली शिक्षा में किए गए सुधार पर वोट मांगती दिखी।

कांग्रेस : राहुल-प्रियंका की रस्म अदायगी, सोनिया नहीं आईं
प्रचार में कांग्रेस बहुत पीछे दिखी। सोनिया गांधी बीमारी की वजह से कैंपेन में शामिल नहीं हुईं। राहुल ने दो दिन में चार रैलियां कीं। दो सभाओं में उनके साथ बहन प्रियंका शामिल रहीं। प्रियंका ने अकेले 2 रैलियां कीं। कांग्रेस की दिवंगत नेता शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। पार्टी ने उनका भी जिक्र किया। हालांकि, राहुल और प्रियंका गांधी ने दिल्ली के मुद्दों से ज्यादा केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की।