भोपाल
लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही मध्य प्रदेश में एक उपचुनाव की स्थिति बन गई है। ये उपचुनाव झाबुआ विधानसभा या लोकसभा सीट पर हो सकता है। झाबुआ विधायक जी एस डामोर दरअसल हाल ही में सांसद चुन लिए गए हैं, अब वो विधायक और सांसद दोनों हैं। नियम के मुताबिक उन्हें 14 दिन में एक सीट छोड़ना है इनमें से जो भी पद वो छोड़ेंगे उस सीट पर उपचुनाव होना तय है।
सियासी समीकरण -इस क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी अभी ये तय नहीं कर पायी है कि डामोर सांसद पद छोड़ेंगे या विधायक का। झाबुआ-रतलाम मध्य प्रदेश की वही सीट है जो कांग्रेस का तीसरा गढ़ मानी जाती है। लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को हरा दिया था। कुछ समय बाद 2015 में दिलीप सिंह का निधन होने के कारण सीट खाली हुई और उप चुनाव में कांतिलाल भूरिया जीत गए। इस बार भी बीजेपी के जी एस डामोर ने कांतिलाल भूरिया को पराजित कर दिया है। अब देखना है कि डामोर लोकसभा सीट खाली करते हैं या विधानसभा की।
एक व्यक्ति-एक पद – रतलाम झाबुआ सीट से चुने गए बीजेपी सांसद जी एस डामोर पहले से विधायक निर्वाचित हैं। वो 2018 के विधानसभा चुनाव में झाबुआ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते। अब लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर उन पर भरोसा जताया। नियम के मुताबिक किसी दूसरे पद पर चुने जाने के 14 दिन के भीतर उन्हें किसी एक पद से इस्तीफा देना होगा। जी एस डामोर सांसद पद छोड़ेंगे या विधायक इसको लेकर अटकलों का दौर जारी है। इन्हीं अटकलों पर एमपी का सियासी पारा भी गर्मी के साथ चढ़ा हुआ है।
जी एस डामोर इस्तीफा किसी भी पद से दें लेकिन रतलाम झाबुआ सीट पर उपचुनाव होना तय है। डामोर के इस्तीफे के बाद के सियासी समीकरण देखते हुए ही उनका इस्तीफा अभी तक अटका हुआ है।