देवरिया शेल्टर होम केस: यूपी सरकार ने माना, दबंग लोग करवाते थे बच्चियों का शोषण

0
199

लखनऊ। यूपी सरकार ने माना है कि देवरिया जिले में स्थानीय प्रशासन और पुलिस संरक्षण गृह (मां विंध्यवासिनी बालिका संरक्षण गृह) का लाइसेंस रद्द होने के बावजूद उसे एक साल तक बंद नहीं करा पाए। इस संरक्षण गृह चलाने वाले दबंग लोग बच्चियों और लड़कियों का शोषण करवाते रहे। लेकिन एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है कि संस्था का रजिस्ट्रेशन कैंसल होने के बावजूद भी पुलिस और प्रशासन बच्चियों को इसी संरक्षण गृह में भेजते रहे। कहा जा रहा है कि बैन लगने के बाद 235 बच्चियों को भेजा गया।
Deoria Shelter Home Case: The UP government has recognized, the oppressed people used to exploit the girls
वहीं इस मामले में दूसरी आरोपी संचालिका गिरिजा त्रिपाठी की बेटी और अधीक्षिका छोटी मैम कंचनलता त्रिपाठी को पुलिस ने मंगलवार को हिरासत में ले लिया। आरोपी होने के बाद भी पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई। अधिकारियों का कहना है कि बाकी आरोपियों के बारे में उससे पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही पुलिस शेल्टर होम में मिली सभी बच्चियों के 161 के तहत बयान दर्ज करा रही है। बुधवार को बच्चियों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान होंगे। इस बीच लापता 18 बच्चियों को तलाशने के लिए चार पुलिस टीमों ने गहन तलाशी करती रहीं, लेकिन कोई क्लू नहीं मिला।

मेडिकल रिपोर्ट पर चुप्पी
बच्चियों की मेडिकल रिपोर्ट को लेकर आला अफसरों ने चुप्पी साध ली है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में बच्चियों के किसी तरह की चोट की पुष्टि नहीं हुई है। यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए बच्चियों की स्लाइड जांच के लिए लखनऊ भेजी गई हैं।

उम्र का कॉलम खाली
बच्चियों के मेडिकल के दौरान उनके उम्र के कॉलम खाली रखे गए हैं। डॉक्टरों के पैनल ने बच्चियों की उम्र की जांच नहीं की है। लड़कियां अपनी उम्र भी नहीं बता पा रही हैं।

कमाया खूब पैसा
संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने 20 साल के दौरान देवरिया में संरक्षण गृह और अन्य संस्थाओं के जरिए खासा रसूख और पैसा कमाया। पड़ोसियां ने बताया कि गिरिजा त्रिपाठी की संपत्ति तेजी से बढ़ती चली गई। मूलरूप से नूनखार निवासी मोहन त्रिपाठी भटनी चीनी मिल में काम करते थे।

ट्रेन में रिजर्वेशन खोज रहा महिला आयोग
देवरिया मामले के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश महिला आयोग की बैठक मंगलवार को लखनऊ में हुई। इसमें तय हुआ कि देवरिया में तीन सदस्यीय समिति भेजी जाएगी। लेकिन मंगलवार देर शाम तक किसी भी सदस्य को इसलिए नहीं भेजा जा सका है क्योंकि ट्रेनों में रिजर्वेशन ही नहीं मिल पाया। इंतजार किया जा रहा है कि रिजर्वेशन मिले तो सदस्यों को भेजा जाए। अध्यक्ष विमला बॉथम ने कहा कि वह भी जाना चाहती हैं, लेकिन कब जाएंगी यह फ्लाइट के टिकट पर निर्भर करेगा।