भोपाल TIO
चुनाव के माहौल के बीच बड़ी रकम की लेनदेन के मामले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों की मुश्किलें कम नहीं हुई है। अप्रैल में हुई आयकर विभाग की ताबड़तोड़ छापेमारियों के बाद इकट्ठा किए गए सबूत और रिपोर्ट सीबीआई को भेज दिए गए हैं। इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
वहीं, दूसरी ओर कमलनाथ ऐसे आरोपों को खारिज कर चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को जो साक्ष्य और जांच रिपोर्ट सौंपी है, वह हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 11 कांग्रेस प्रत्याशियों को कथित तौर पर भारी रकम ट्रांसफर किए जाने की ओर इशारा करती है। आरोप ये भी है कि आॅल इंडिया कांग्रेस कमिटी को 20 करोड़ रुपये की रकम का भुगतान किया गया।
व्हाट्सएप चैट से लेनदेन, आयोग ने की सीबीआई से जांच की सिफारिश
रिपोर्ट के अनुसार सात अप्रैल, 2019 को जिन लोगों के यहां छापे मारे गए थे, उनमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से जुड़े पांच लोग थे। आयकर विभाग ने जांचकतार्ओं के बयान के साथ-साथ उनके खातों का मिलान किया। इसके अलावा व्हाट्सएप चैट के जरिए पैसों के लेनदेन का भी पता लगाया गया है। साथ ही फोन पर की गई बातचीत भी रिकॉर्ड की गई।
हालांकि चुनाव आयोग के पास फोन पर हुई बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट दाखिल नहीं किए गए हैं। चुनाव आयोग ने इस मामले में चार मई को लिखित में सिफारिश की है कि इसमें सीबीआई जांच की जाए। आरोप है कि ‘विभिन्न प्रत्याशियों के इस्तेमाल’ के लिए पैसे को डायवर्ट किया गया था।
भोपाल से चुनाव लड़ चुके पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह निशाने पर
जांचकतार्ओं के रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और इस बार भोपाल से चुनाव लड़ने वाले दिग्विजय सिंह उन प्रत्याशियों की सूची में शीर्ष पर हैं, जिन्हें तलाशी अभियान की जद में आए लोगों से चुनाव के लिए फंड मिले थे। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ये जानकारी ललित कुमार चलानी नामक शख्स के कम्प्यूटर से मिली है। वह एक सीए हैं, जो कमलनाथ के पूर्व सहयोगी आरके मिगलानी और प्रवीड़ कक्कड़ के साथ काम कर चुके हैं।
केवल दिग्विजय को मिले 90 लाख! कई प्रत्याशियों पर आरोप
आयकर विभाग के दस्तावेजों के अनुसार ललित के जरिए कथित तौर पर लोकसभा प्रत्याशियों को 25-30 लाख रुपये की रकम मिली। अकेले दिग्विजय सिंह को ही 90 लाख रुपये मिले। वहीं भुगतान से जुड़ी रसीदें महज दो मामलों में मिली हैं। पहली सतना से राजाराम प्रजापति और दूसरी बालाघाट से मधु भगत। इस मामले पर चुनाव आयोग का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने जो खर्च किया है, उसका लेखा-जोखा जून के आखिर तक आ जाएगा, इसके बाद कोई कार्रवाई की जाएगी। जिन अन्य लोकसभा प्रत्याशियों को फंड मिलने का आरोप हैं, उनमें मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, मंडला से कमल माडवी, शहडोल से प्रमिला सिंह, सिद्धि से अजय सिंह राहुल, भिंड से देवाशीष जरारिया, होशंगाबाद से शैलेंद्र सिंह दीवान, खजुराहो से कविता सिंह नटिराजा और दामोह से प्रताप सिंह लोधी शामिल हैं। वहीं विधानसभा चुनाव में फंडिंग के मामले में आयकर विभाग का निष्कर्ष ये है कि एक समूह द्वारा 17.9 करोड़ रुपये की रकम 87 प्रत्याशियों को दी गई थी, जिनमें से 40 को जीत मिली।
आरोपों से किनारा कर चुके हैं कमलनाथ
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ का इसपर कहना है कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि ये मामला सीबीआई को भेजने दें, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। आयकर विभाग के निष्कर्ष में ये बात भी सामने आई है कि मध्यप्रदेश में सरकारी विभागों से बड़े पैमाने पर पैसा जुटाया गया। इस मामले में जानकारी कमलनाथ के पूर्व ओएसडी प्रवीड़ कक्कड़ के फोन के व्हाट्सएप संदेशों से भी मिली है। आयकर विभाग की जांच के अनुसार दावा है कि परिवहन विभाग के नाम पर 54.45 करोड़, एक्साइज विभाग के नाम पर 36.62 करोड़, खनन विभाग के नाम पर 5.50 करोड़, लोक निर्माण विभाग के नाम पर 5.20 करोड़ और सिंचाई विभाग के नाम पर चार करोड़ रुपये कथित तौर पर आॅल इंडिया कांग्रेस कमिटी को ट्रांसफर किए गए। वहीं चलानी के फोन से मिले सबूतों से पता चलता है कि 17 करोड़ रुपये कथित तौर पर आॅल इंडिया कांग्रेस कमिटी को ट्रांसफर किए गए थे। इन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में होना था।