मप्र में दिग्विजय काल के जख्मों को कुरेद रहे शिवराज

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भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी चौसर सजने लगी है, सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ही अंदाज में हर असंतोष को दबाने के लिए दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल के जख्मों को कुरेदना शुरू कर दिया है।
Digvijay kills a scourge in MP, Shivraj
मतदाताओं के बीच बिजली, सड़क से लेकर कर्मी कल्चर की चर्चा छेड़ते हुए सौगातों की बरसात कर दी है। राज्य में भाजपा की सरकार को डेढ़ दशक होने को है। मुख्यमंत्री के तौर पर चौहान को 13 साल हो चुके हैं। लगातार चौथी बार जीत किसी भी राज्य में किसी भी दल के लिए आसान नहीं होती। लिहाजा, चौहान ने इस जीत के लिए अभी से पासे फेंकना शुरू कर दिए हैं। इसके लिए उन्होंने बड़ा हथियार बनाया है, सड़क, बिजली और कर्मचारियों की स्थिति को।

चौहान ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लिया। इसके मुताबिक, अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन किए जाने के साथ डाइंग (समाप्त) घोषित किए गए शिक्षक कैडर के फैसले को खत्म किया गया। अब सभी शिक्षक होंगे। उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस काल अर्थात दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की याद ताजा करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में गुरुजी-शिक्षाकर्मी कल्चर पैदा किया गया, जिसे भाजपा ने खत्म किया है।

राज्य सरकार के इस फैसले से 2,37000 अध्यापक लाभन्वित होंगे। एक तरह से शिवराज ने इस फैसले के जरिए इन अध्यापकों के परिवारों का दिल जीतने का काम किया है। राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव का कहना है कि दिग्विजय सिंह सरकार के शिक्षा विभाग के उस काले अध्याय का अंत हो गया है, जिसके जरिए व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक के पद को मृत घोषित किया गया था।

शिवराज सरकार इससे पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका आदि के वेतन में वृद्धि का ऐलान कर चुकी है। साथ ही जेल प्रहरियों के बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आयु को16 वर्ष किया जा चुका है। साथ ही कई और भी फैसले लिए गए। जानकारों की मानें तो शिवराज ने यह मास्टर स्ट्रोक तब मारा है, जब दिग्विजय सिंह राज्य की सियासत में सक्रिय हो रहे हैं। शिवराज की तैयारी दिग्विजय काल की याद दिलाने की है।