भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश की नौ सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों कि लिस्ट जारी कर दी है। साल 1989 से लगातार भाजपा के कब्जे में रहे भोपाल लोकसभा क्षेत्र को जीतने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल से चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि राहुल गांधी की करीबी मानी जाने वाली मिनाक्षी नटराजन को मंदसौर से प्रत्याशी बनाया गया है।
Digvijay Singh has given tickets to BJP's polling fortress, this is the reason
बीजेपी का अभेद गढ़ है भोपाल-
भाजपा का अभेद गढ़ बन चुके भोपाल लोकसभा क्षेत्र को भेदने के लिए अभी तक कांग्रेस के सभी प्रयास असफल रहे हैं। सन 1984 में यहां से आखिरी बार कांग्रेस जीती थी। तब कांग्रेस प्रत्याशी केएन प्रधान ने भाजपा के लक्ष्मीनारायण शर्मा को 128664 मतों से पराजित किया था। उसके बाद से कांग्रेस इस सीट पर वापसी का इंतजार कर रही है। भोपाल लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं।
दिग्विजय ही क्यों-
तीन साल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दस साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी बनाने के पीछे कांग्रेस का विशेष रणनीति है। माना जाता है कि दिग्विजय सिंह की भोपाल क्षेत्र की सभी आठों विधानसभा सीटों पर मजबूत पकड़ है। कांग्रेस के आलावा भाजपा में भी उनका दखल है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर से उनके संबंध जग जाहिर हैं। इसी तरह सीहोर से विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश सक्सेना का झुकाव भी विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के प्रति बढ़ा है।
रमेश सक्सेना की पत्नी उषा रमेश सक्सेना ने हाल ही में सीहोर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और उन्हें 26 हजार से अधिक वोट मिले थे। इस लिहाज से सीहोर क्षेत्र में रमेश सक्सेना की अहमियत को आंका जा सकता है।
वहीं भोपाल दक्षिण-पश्चिम से मंत्री पीसी शर्मा और संजीव सक्सेना व भोपाल उत्तर से मंत्री आरिफ अकील, बैरसिया से पूर्व सांसद सुरेंद्र सिंह ठाकुर और पूर्व विधायक जोधाराम गुर्जर भी दिग्विजय सिंह के खास समर्थकों में माने जाते हैं।
भोपाल मध्य से विधायक बने आरिफ मसूद भले ही सुरेश पचौरी के खेमे से हों लेकिन चुनाव के समय कांग्रेस के बागियों को मनाने में दिग्विजय सिंह ने अहम् भूमिका निभाकर सीधे तोर पर आरिफ मसूद की मदद की थी। नरेला और हुजूर विधानसभा क्षेत्र में भी दिग्विजय सिंह के चाहने वालों की कमी नहीं है। दिग्विजय सिंह के अलावा भोपाल लोकसभा क्षेत्र के लिए कांग्रेस के पास कोई ऐसा नाम नहीं है जिससे जीत की उम्मीद की जा सके।
दक्षिण-पश्चिम में पीसी शर्मा को करनी होगी कड़ी मेहनत-
दिग्गी राजा को लेकर राजधानी में कर्मचारी वर्ग में सबसे ज्यादा नाराजगी है, जिसकी कीमत कांग्रेस को चुकानी भी पड़ी थी। दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में कर्मचारी वर्ग से जुड़े मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। पीसी शर्मा भले ही अपने व्यक्तिगत व्यवहार के चलते कर्मचारियों को अपने पक्ष में मोड़ने में सफल रहे हों, लेकिन दिग्विजय सिंह के दिए घाव फिर मरहम लगाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर दिग्गी राजा के नाम का एलान होते ही पीसी शर्मा के ऊपर सबसे ज्यादा दारोमदार आ गया है। क्योंकि कांग्रेस को यह मालूम है कि मध्य और उत्तर से कांग्रेस के परम्परागत वोटों में रत्ती भर भी कटौती नहीं होने वाली है। मेहनत सिर्फ कर्मचारियों को लुभाने के लिए करना जरूरी है।