द इंडियन आॅब्जर्वर के लिए शिवानी सिंह शर्मा, मिस एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल 2016 एवं 2017 से भोपाल में खास मुलाकात
कंचन किशोर TIO भोपाल
भोपाल
दिल्ली से आई शिवानी सिंह शर्मा खास द इंडियन आब्जर्वर की विशेष संवाददाता कंचन किशोर से कुछ अन्छुए पहलुओं पर चर्चा की। आब्जर्वर के कार्यालय में आकर शिवानी ने कहा-बेवसाइट व अखबार का कार्यालय कम दिखता है एक संयुक्त परिवार ज्यादा दिखता है।
पेश है उनसे कुछ खास बीतचीत
कंचन किशोर – शिवानी जी आपने 2 बच्चो की मां बनने के बाद ग्लैमर की दुनिया को क्यूं चुना?
शिवानी सिंह – मेरे दोनों बेटियां हैं। पहले बच्चे के बाद ही मेरा वजन काफी बढ़ गया था । तकरीबन 110 किलोग्राम की हो गई थी मैं। अपने आप की आइने में देखने की हिम्मत भी नहीं होती थी, कुछ भी पहन लिया, कैसे भी रह लिया क्यूं कि शरीर बेहिसाब फैला हुआ था और मुझे अपने आप से चिढ़ हो गई थी। फिर मुझे अहसास हुआ कि जब मैं अपने आप से ही प्यार नहीं करती अपने शरीर को ही प्राथमिकता नहीं देती तो मैं अपनी बेटी को क्या सिखाऊंगी? उन्हें जिन्दगी जीने का क्या सलीका बताऊंगी? जब यह बोध हुआ तो सबसे पहले मैंने अपने वजन पर काम करना शुरू किया, इसी दौरान दूसरी बेटी हुई परन्तु मेरे अंदर अपने को बदलने, अपने वजूद को स्थापित करने की ललक बरकरार रही। 110किलो से 64 किलो तक का सफर मैंने अपनी बेटियों की उदाहरण देने के लिए किया। ये खिताब ये शोहरत मैंने बेटियों के लिए हासिल किया ताकि उन्हें अपनी मां पर गर्व रहे।
कंचन किशोर- शिवानी आपने अपने आप को सिद्ध करने के लिए ग्लैमर फील्ड को ही क्यूं चुना?
शिवानी सिंह – ऐसा मैंने बहुत सोच समझ के नहीं किया था। मैंने अपने आप को संयमित और नियंत्रित करने के लिए किसी फिनिशिंग एंड ग्रूमिंग एक्सपर्ट की मदद और गाइडेंस लेनी चाही। मुझे पता चला की पुणे की एक संस्था इसमें मेरी मदद करेगी। मैंने वहां जा कर पाया कि वो एक पिएजेट्री संस्था थी जो मिस इंडिया, मिस यूनिवर्स इत्यादि टाइटल्स के लिए युवतियों को तैयार करती है। अपने आप को फिट और आकर्षक रखने के लिए को सफर मैंने शुरू किया वो मुझे इस प्रतियोगिता में ले आया, मैंने शुरआत के कुछ कंपटीशन जीते और मेरा आत्मविश्वास भी लौट आया। इसी तरह में बढ़ती गई और मिसेज एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल का खिताब मुझे मिला।
कंचन किशोर- आपके खिताब जीतने से आपकी अपनी जिÞन्दगी और आपसे जुड़े समाज में क्या बदलाव आया?
शिवानी सिंह – इस खिताब को जीतना आसान नहीं। आपको शारीरिक रूप से ना केवल फिट बल्कि आकर्षक, नाजुक, सुंदर सभी का सम्मिश्रण बनना होता है। इसके लिए बहुत कठिन परिश्रम करना होता है जिम में घंटों पसीना बहाना पड़ता है, कड़ी डायट फॉलो करना होती है। कई घंटो सलीके से चलने, उठने बैठने, बात करने, कपड़े पहनने की प्रैक्टिस करने पड़ती है। इतना नियम कायदे में रहने से आपके व्यक्तित्व में कई गुना ओज और गरिमा, साथ ही आत्म विश्वास आ जाता है। लोग आपको नोटिस करते हैं, आपकी तरफ आकर्षित होते हैं और आपके व्यक्तित्व के कारण आपकी बातों को आपके कार्यों को ज़्यादा गंभीरता से लेते हैं। आप सामाजिक सरोकार के कामों को प्रोत्साहित कर पाते हैं। लोग आपके संदेशों को महत्व देने लगते हैं और इसी क्रम में आप समाज में बदलाव लाने की कोशिश में सफल होने लगते हैं।
मेरे खिताब जीतने की वजह से में कई सामाजिक कार्यों को प्रोत्साहित कर रही हूं। महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से समाज अपने आप प्रगति करता है। मैं एप्टेक कंपनी की ब्रांड एंबेसडर हूं साथ ही फुल टाइम जॉब भी करती हूं। अपने परिवार बच्चो की देखभाल और अपने रुचि के कार्यों में समन्वय बना के रखती हूं। यही मेरे सफर का हासिल है और यही मेरे हौसलों की मंज़िल।