कई राज्यों में लागू हुआ ई-वे बिल, समझना होगा इंटर स्टेट और ई-वे बिल में अंतर

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नई दिल्ली। एक अप्रैल 2018 से देशभर में लागू किया किया जा चुका ईवे बिल अब देश के अलग अलग राज्यों में एक एक करके लागू किया जा रहा है। इसके कार्यान्वयन के लिए 15 अप्रैल की तारीख तय की गई थी ताकि तब तक राज्य इसके सिस्टम के लिए तैयारी कर पाएं। धीरे-धीरे कर के देश के अधिकांश राज्य अब इसके दायरे में आ चुके हैं।
E-way bills applied in many states, the difference between Inter State and e-bill
गौरतलब कि 1 अप्रैल को राज्यों के बीच ई-वे बिल को अनिवार्य कर दिया गया था। इस नियम के लागू हो जाने के बाद 50,000 रुपए से ज्यादा के सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाने के लिए अब व्यवसायों और ट्रांसपोर्ट्स के लिए ई-वे बिल जेनरेट करवाना जरूरी होगा।

पहले समझिए इंटर स्टेट और इंट्रा स्टेट ईवे बिल में अंतर: अक्सर लोग इसको लेकर कन्फ्यूज होते हैं। तो आपको बता दें कि इंटर स्टेट ई-वे बिल यानी देश के राज्यों के बीत ई-वे बिल को 1 अप्रैल 2018 को लागू कर दिया गया था। अब चरणबद्ध तरीके से इंट्रा स्टेट ई-वे बिल को (एक ही राज्य के अंदर शहरों के बीच सामानों की आवाजाही के लिए) लागू किया जा रहा है। इन दोनों ही तरीकों के ई-वे बिल को 3 जून से पहले पहले पूरी तरह से लागू किया जाना जरूरी है।

कहां कहां लागू हो चुका है इंट्रा स्टेट ईवे बिल: कर्नाटक देश का पहला राज्य है जिसने सबसे पहले यानी 1 अप्रैल को ही इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू कर दिया था। जिन राज्यों में इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू किया जा चुका है उनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पुडुचेरी, असम और राजस्थान। लक्षद्वीप और चंडीगढ़ 25 मई को ईवे बिल लागू कर चुके हैं, महाराष्ट्र में 31 मई को ईवे बिल लागू किया जा चुका है जबकि पंजाब और गोवा में 1 जून से ईवे बिल लागू होना है।