भाजपा में खतरे में ‘बुजुर्ग’: अगले चुनाव में 60 से कम उम्र के नेताओं पर रहेगा टिकट का फोकस

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भोपाल। अगले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा हाईकमान की ओर से नई गाइडलाइन तैयार की जा रही है। यदि इस गाइडलाइन का टिकट चयन में पालन किया गया, तो 60 साल से ज्यादा उम्र के नेता टिकट की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। लेकिन यदि इन उम्रदराज नेताओं के बेटा-बेटी या रिश्तेदार पार्टी में सक्रिय हैं तो उन्हें टिकट मिल सकता है। पार्टी जिन नेताओं को पहली बार विधानसभा का टिकट देगी, उनमें कोई भी नेता उम्रदराज की श्रेणी में नहीं रहेगा।
‘Elderly’ in danger in BJP: Leaders of less than 60 in next elections will be on the focus of the ticket
भाजपा में टिकट के दावेदारों का फैसला चुनाव समिति की बैठक में होता है और टिकट पर मुहर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लगाया जाता है। अगले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा हाईकमान ने तय किया है कि ऐसे नेता जो अपने रिश्तेदारों को राजनीति में लाना चाहते हैं, वे खुद टिकट की दौड़ से पीछे हटकर अपने रिश्तेदार को टिकट दिला सकते हैं। बशर्तें जीत की जि मेदारी खुद लेनी होगी। पार्टी ऐसे बुजुर्ग नेताओं को संगठन में जि मेदारी देगी।

पिछले चुनावों में पार्टी के कुछ दिग्गज नेताओं ने खुद के टिकट के साथ-साथ अपने बेटा-बेटी के लिए टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी ने इस मांग को ठुकरा दिया। पार्टी सूत्रों ने बताया कि चुनाव में जीत ही प्राथमिकता रहेगी। ऐसी सीट जहां बुजुर्ग नेता ही सीट निकाल सकते हैं, वहां अपवाद स्वरूप बुजुर्ग नेता को टिकट दिया जा सकता है।

…तो आधा सैंकड़ा हो जाएंगे टिकट की दौड़ से बाहर
यदि टिकट वितरण में उम्र का फामूर्ला चला तो भाजपा के आधा सैकड़ा मौजूदा विधायक सिर्फ इसी वजह से टिकट की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। हालांकि पार्टी के सर्वे में 80 करीब विधायकों की परफार्मेंस रिपोर्ट के आधार पर टिकट काटे जाने की संभावना है।

सिर्फ जहां कोई नहीं वहां बुजुर्ग
भाजपा ऐसी सीट पर बुजुर्ग नेता को चुनाव में उतारेगी, जहां वही चुनाव जीत सकता है। शिवराज सरकार के मौजूदा मंत्रियों में आधे से ज्यादा 60 की उम्र के पार के हैं। इनमें से अधिकांश मंत्रियों को उनके रिश्तेदारों को टिकट का आॅफर दिया जाएगा। जो मंत्री कद्दावर हैं, क्षेत्र में उनके अलावा कोई सीट नहीं निकाल सकता है। उसे फिर मौका मिलेगा।

भाजपा में चुनाव समिति टिकट तय करती है। प्रत्याशी चयन में दावेदारकी छवि, पार्टी के प्रति समर्पण, वैचारिक भाव, योग्यता एवं भावी उपयोगिता को भी देखा जाता है। हर सीट पर जीतने की संभावना वाले प्रत्याशी का चयन होता है।
दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, मप्र भाजपा