नई दिल्ली। 2019 के चुनावी समर को लेकर तृणमूल चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अपना अभियान तेज कर दिया है। ऐंटी बीजेपी विपक्षी दलों की गोलबंदी को लेकर ममता ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में मेगा मुलाकातों का दौर शुरू कर दिया है। मंगलवार को ममता ने जहां एनसीपी चीफ शरद पवार, उनकी बेटी सुप्रिया सुले, बीजेपी के बागी यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ राम जेठमलानी से मुलाकात की। बुधवार को ममता यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिलने वाली हैं।
Elections in 2019 will be activated by anti-BJP anti-Mamata, now with Sonia Gandhi and Kejriwal
मेगा ऐंटी बीजेपी रैली की कोशिश?
कहा जा रहा है कि अगले साल 19 जनवरी को कोलकाता में होने वाली रैली को ममता मेगा ऐंटी-बीजेपी रैली का रूप देना चाहती हैं। इस संदर्भ में वह इन नेताओं से मुलाकात कर उन्हें रैली में आने का निमंत्रण दे रहीं हैं। कोलकाता की यह रैली ममता के 2019 के गेम प्लान का एक अहम हिस्सा है। ममता की नजरें 2019 में विपक्षी फ्रंट के स्वरूप पर टिकी हुईं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शायद यही वजह है कि ममता एक तरफ टीआएस सुप्रीम के चंद्रशेखर राव के फेडरल फ्रंट को भी सपॉर्ट कर रहीं हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेसी नेतृत्व में बन रही विपक्षी एकता के साथ भी दिखने की कोशिश कर रहीं हैं।
पीएम उम्मीदवारी पर भी है ममता की नजर?
2019 में विपक्ष के महागठबंधन को लेकर सबसे बड़ा सवाल पीएम उम्मीदवार का ही है। बीजेपी के नेता अक्सर महागठबंधन की कवायद को लेकर तंज कसते नजर आते हैं कि इसका नेतृत्व कौन करेगा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इसकी आकांक्षा कहीं न कहीं ममता के भीतर भी है कि वह गठबंधन का नेतृत्व करें। हालांकि मुलाकातों में जुटी ममता इसके संकेत देने से लगातार बच रही हैं। मंगलवार को एक ऐसे ही सवाल के जवाब में ममता ने कहा कि इसे लेकर अनुमान जताने की कोई जरूरत नहीं है, लोग तय करेंगे।
तृणमूल सुप्रीमो का कहना है कि इसे सामूहिक फैसले से तय किया जाएगा। राहुल गांधी , शरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश या लेफ्ट पार्टियों समेत विपक्ष के तमाम दिग्गज नेता माने या न मानें, पीएम उम्मीदवारी का सवाल फिलहाल उनकी एकता का सबसे बड़ा संकट नजर आ रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस भी इसी सवाल को लेकर दुविधा में नजर आई। बीते दिनों कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में राहुल को पीएम उम्मीदवार बनाने पर जोर दिया गया तो विपक्ष के दूसरे दलों में जेडीएस और एनसी को छोड़ कोई खास रेस्पॉन्स नहीं मिला।
इसके बाद कांग्रेस के खेमे यह खबर आ गई कि पार्टी ने किसी अन्य दल के नेता को भी पीएम बनाने का विकल्प खुला रखा है। ऐसे में ममता बनर्जी की विपक्षी एकता की कवायद किस करवट बैठने वाली है और इसका रूप क्या केवल ऐंटी बीजेपी होगा या ऐंटी कांग्रेस भी दिखेगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।