आबकारी विभाग ने इंदौर में चारा फेंका और फंस गए ठेकेदारों के दो समूह

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TIO, कीर्ति राणा

जिले की शराब दुकानों की नीलामी में आबकारी विभाग अधिकतम राजस्व प्राप्त करने की नीति में सफल रहा है।एक तरह से विभाग ने समूह में दुकानें नीलाम करने का जो चारा फेंका उसमें ठेकेदारों के दोनों समूह फंस गए। नतीजा यह हुआ कि कहां तो ठेकेदार रिजर्व प्राइज से 10 प्रतिशत अधिक तक बोली लगाने में पीछे हटते रहे और कहां 12 प्रतिशत अधिक पर इन दोनों ग्रुपो को 175 दुकानों का सौदा करना पड़ा।यह 12 फीसद अधिक मूल्य भी मार्च से गत माह तक दो बार हुई नीलामी और 5 फीसद अर्नेस्ट मनी की राशि मिलाकर 27 फीसद अधिक मूल्य पर पहुंच गया है।कोर्ट से 5 फीसद राशि मिल भी जाए तो ठेका 22 फीसद अधिक मूल्य पर गया है।इतनी अधिक राशि में दुकानें खरीदने वाले ठेकेदारों ने दुकानों का कब्जा भी ले लिया है, अब शराब बिक्री के मूल्य में वृद्धि कर के ही वे 270 दिनों में घाटे की पूर्ति करने की प्लानिंग कर रहे हैं।

इंदौर जिले की 175 शराब दुकानों के लिए महाकाल ट्रेडर्स और मां कस्तूरी ग्रुप ने 765 करोड़ का टेंडर भरा था, यह राशि रिजर्व प्राइज से 11.85 प्रतिशत अधिक होने से आयुक्त कार्यालय ने शनिवार की सुबह मंजूरी के साथ ही दोनों समूह को लायसेंस फीस जमा करने के निर्देश दे दिए थे।इस बीच भोपाल के सोम ग्रुप (जगदीश अरोरा) द्वारा इस नीलामी को कोर्ट में चुनौती देने की भनक लगने पर ठेकेदारों ने विभाग द्वारा संचालित दुकानों के साथ ही केंटोनमेंट क्षेत्र में होने की वजह से बंद डेढ़ दर्जन दुकानों को भी खुलवाकर अपने आदमी बैठा दिए थे।यह जल्दबाजी भी इसलिए की गई ताकि कोर्ट में याचिका लगाने और स्टे की स्थिति भी बने तो यह बताया जा सके कि सारी दुकानों का कब्जा दो ठेकेदार समूह को दिया जा चुका है।
विभाग ने 175 दुकानों के 64 ग्रुप बनाकर नीलामी भी की थी लेकिन इस प्रक्रिया में 53 ग्रुप ही नीलाम हुए। हालाकि ये ग्रुप 18 से 40 फीसद अधिक बोली पर नीलाम हुए लेकिन विभाग ने मंजूरी नहीं दी।चर्चा यह भी रही कि कुछ डमी ठेकेदार तो विभाग के इशारे पर ही बोली लगाने उतरे थे। दुकानों के ग्रुप में बढ़ती बोली और सोम ग्रुप के जगदीश अरोरा की बढ़ती दिलचस्पी से खफा ठेकेदारों ने सारी दुकानों के लिए इस बढ़े भाव का ऑफर दे दिया, इसके पीछे बी ग्रुप से अपरोक्ष रूप से जुड़े डीएस भाटिया की भी रणनीति थी।

शराब ठेकों की नीलामी के इतिहास में यह पहला अवसर रहा है जब विश्व व्यापी कोरोना महामारी के कारण मार्च में शराब दुकानें नीलाम होने के बाद से करीब तीन महीने बंद रहीं और विभाग को पूर्व सीएम उमाभारती के वक्त आबकारी आयुक्त रहे ओपी रावत वाली पॉलिसी पर अमल करते हुए ग्रुप बना कर शराब दुकानें नीलाम करने पर अमल करना पड़ा।

अकेले इंदौर जिले में ही बीते एक माह में लगातार 6 बार नीलामी की प्रक्रिया के साथ दो बार एक साथ और कई बार 7-7 दिनों के लिए शराब दुकानें नीलाम करना पड़ी। विभागीय अमले ने भी पहली बार कई दिनों तक शराब बेचने का काम किया, अब जब जिले में ठेकेदार अपना घाटा वसूलने के लिए अवैध तरीके से भी शराब बेचने का प्रयास करेगा तो विभागीय अमले पर निर्भर करेगा कि वह इसकी रोकथाम में वाकई मुस्तैदी दिखा पाएगा या ठेकेदारों से दोस्ती निभाएगा।सहायक आबकारी आयुक्त आरएन सोनी के मुताबिक ठेकेदारों ने लायसेंस फीस जमा करा दी है। आज ही से जिले की शराब दुकानों का संचालन इन दो ग्रुप के ठेकेदारों को सौंप दिया है।