कौशल किशोर चतुर्वेदी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में कोरोना के संक्रमण का शिकार हो चुके परिवारों की देखरेख के लिए सरकारी स्तर पर जिम्मेदारी के निर्वहन का जो फैसला किया है, वह निश्चित तौर से ना केवल सराहनीय है बल्कि इससे साफ हो गया है कि मामा की ममता, संवेदनशीलता और उदारता का मुकाबला कोई भी दूसरा नेता आसानी से नहीं कर सकता। चौथी पारी में कोरोना के संक्रमण के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में गड़बड़ियों को सुधारने के लिए कठोरता के साथ बर्ताव करने का संदेश दिया था। तोड़ दूंगा, गाड़ दूंगा, लटका दूंगा जैसे जुमलों के बीच ऐसा लग रहा था, मानो शिव ने दुष्टों के संहार का फैसला कर लिया है और मामा की ममता, संवेदनशीलता और उदारता की पुरानी छवि को अतीत में धकेल दिया है। अब चौथी पारी में वह मध्यप्रदेश को केवल माफियाओं और अपराधियों से मुक्त कर शिव के संहारक स्वरूप के वाहक बनकर ही संतुष्ट रहेंगे और अपनी एक नई छवि गढ़ने में सफल होकर पांंचवी पारी की नींव भरेंगे।
ऐसा लग रहा था कि बहनों के भाई और भांजे-भांजियों के मामा का कोमल ह्रदय कहीं गुम हो गया है। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने जिस निर्ममता के साथ प्रदेश के हजारों परिवारों पर कहर बरपाया है। उसकी वेदना ने मामा के सीने में धड़क रहे फूल की तरह कोमल दिल को झकझोर कर रख दिया है। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों को सुरक्षा कवच देकर यह साफ कर दिया है कि मामा दुष्टों और राक्षसों को सबक सिखाने के लिए वज्र से ज्यादा कठोर है और रहेंगे लेकिन प्रदेश की साढे़ सात करोड़ जनता के लिए अब भी फूल से भी ज्यादा कोमल है। मामा, भांजे-भांजियों की अब भी उतनी ही चिंता करते हैं जितना पिछले तीन कार्यकाल में उन्होंने की है। और मामा कहीं भी रहें लेकिन उनके अंदर सभी के प्रति ममता का भाव जिंदा रहेगा तो उदारता और संवेदनशीलता के साथ वह सेवा का जज्बा बरकरार रखेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण घोषणा के बाद अब कोरोना संक्रमण से बेसहारा हुए बच्चों,परिवारों की जिंदगी बिखर नहीं पाएगी। बेसहारा परिवारों को पेंशन,निःशुल्क राशन, बच्चो को निःशुल्क शिक्षा जैसी सुविधाएं देने वाला मध्यप्रदेश जहां पहला राज्य बना है तो शिवराज ने सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन का नया प्रतिमान भी गढ़ा है।कोरोना महामारी ने हजारों परिवारों को तोड़ कर रख दिया है। कई परिवार ऐसे हैं जिनके बुढ़ापे की लाठी के सहारे छिन गए हैं। कुछ परिवार ऐसे हैं जिनमें मासूम बच्चों के सिर से अपने पालक, अपने पिता, अभिभावक का साया उठ गया है।ऐसे बच्चों का पूरा जीवन अनाथ हो गया है। उनके सामने जीवन यापन की समस्या सुरसा की तरह मुंह फैलाए खड़ी है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज ने फैसला किया है कि ऐसे बच्चे जिनके परिवार से पिता, अभिभावक का साया उठ गया, घर में कोई कमाने वाला नहीं है, ऐसे परिवारों को 5000 प्रति माह पेंशन दी जाएगी। यह इन बेसहारा परिवारों के लिए बहुत बड़ी सौगात है। इससे भी बड़ा उपकार यह कि ऐसे सभी बच्चों के शिक्षा का निःशुल्क प्रबंध किया जाएगा ताकि वह अपनी पढ़ाई लिखाई जारी रख सकें। और पात्रता ना होने के बावजूद भी ऐसे परिवार को फ्री राशन दिया जाएगा ताकि भोजन का इंतजाम हो सके। मामा की उदारता, संवेदनशीलता और ममता का अंत नहीं है और इसे साबित करते हुए मुख्यमन्त्री ने प्रावधान किया है कि अगर इन परिवार में कोई सदस्य ऐसा है या पति नहीं रहे तो हमारी बहन कोई ऐसी है जो काम धंधा करना चाहे तो उनको सरकार की गारंटी पर बिना ब्याज का ऋण काम धंधे के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा। वाह शिवराज निश्चित तौर से आप जब देते हैं तो कोई सीमा नहीं है और शायद अपने इस कोमल दिल और सामाजिक सरोकार की वजह से ही मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहने का जो रिकार्ड आपने बनाया है, वह अब कोई भी नहीं तोड़ पाएगा। जिस तरह आप दुखी परिवारों को बेसहारा नहीं छोड़ सकते, उसी में आपका सुनहरा भविष्य समाया हुआ है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबकी चिंता करते हैं। इसकी मिसाल यह भी है कि मुसीबतों से जूझ रहे पत्रकारों की चिंता भी शिवराज ने पूरी शिद्दत के साथ की है। अब प्रदेश के मीडिया के साथियों का कोरोना का इलाज सरकार कराएगी। इसमें खास बात यह है कि मीडिया के प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल के सभी सदस्य, अधिमान्य और गैर अधिमान्य साथियों का कोरोना के इलाज की चिंता सरकार करेगी। इस योजना में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल के संपादकीय विभाग में कार्य कर रहे सभी पत्रकार, डेस्क में पदस्थ पत्रकार साथी, कैमरामैन, फोटोग्राफर सभी को कवर किया जाएगा।सभी मीडिया के साथी करोना महामारी के काल में जन जागृति का धर्म निभा रहे है। तो सरकार के मुखिया शिवराज ने यह साबित कर दिया है कि वह भी अपना धर्म निभाने में पीछे नहीं हटेंगे।
मुख्यमंत्री ने चौथी पारी संभालने के बाद जरूरतमंदों के प्रति अपनी संवेदना जताते हुए कई बार कहा है कि पिछली तीन पारियों में वह जो नहीं कर पाए, उसकी भरपाई चौथी पारी में करेंगे। कोरोना के मारे हजारों परिवारों की चिंता दूर करने के लिए लिया गया बेमिसाल फैसला और मीडियाकर्मियों और उनके परिवार के इलाज की फिक्र करते हुए लिया गया फैसला, शिव की सोच को कसौटी पर खरा साबित कर रहे हैं। और मामा की ममता, संवेदनशीलता और उदारता का अनुपम उदाहरण हैं।