एफएटीएफ ने पाकिस्तान को दी चेतावनी, कहा- योजनाओं में तेजी लाएं या फिर कालीसूची का सामना करें

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वर्ल्ड डेस्क

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने  पाकिस्तान को सख्त लहजे में चेतावनी दे दी है। दरअसल एफएटीएफ ने पाकिस्तान से फरवरी 2020 तक अपनी सभी कार्य योजनाओं को तेजी से पूरा करने करने के लिए कहा है। ऐसा न होने पर अगले पूर्ण सत्र में काली सूची (ब्लैकलिस्ट) में नाम डाल देने को लेकर चेताया है।

एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को फिलहाल ‘ग्रे लिस्ट’ में बनाए रखने पर सहमति बनी है, क्योंकि 27 सूत्रीय कार्ययोजना में उसका प्रदर्शन बेहद खराब और निराशाजनक रहा है। एफएटीएफ ने चेतावनी देते हुए इस बात का भी उल्लेख किया है कि भारत में श्रृंखलाबद्ध हमलों के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों पर लगाम लगाने में पाकिस्तान नाकाम रहा है।

वह इन समूहों पर आर्थिक रूप से शिकंजा कसने के लिए दिए गए 27 सूत्रीय कार्ययोजना में से केवल पांच कार्ययोजनाओं पर ही अमल कर सका है। बता दें कि एफएटीएफ ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी वित्तपोषण जोखिमों को कम करने में आशानुरूप प्रगति नहीं होने पर गंभीर चिंता व्यक्त करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया था।

पाकिस्तान को दी गई इस ताजा चेतावनी में साफ कहा गया है कि यदि उसने फरवरी 2020 तक दी गई कार्ययोजना के तहत उचित कदम नहीं उठाए तो एफएटीएफ कड़ी कार्रवाई करेगा।

इस तरह की कार्रवाई में वैश्विक वित्तीय संस्थानों को पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों और लेन-देन पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया जा सकता है। यह ठीक वैसी ही भाषा जैसी ईरान के मामले में इस्तेमाल की गई है, जो पहले से ही ‘काली सूची’ में है।

बता दें कि पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे सूची’ में रखा गया था और 27 सूत्रीय कार्ययोजना को लागू करने के लिए उसे 15 महीने का समय दिया गया था।

यहां ध्यान देने वाली यह है कि नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में बना रहा, तो इमरान खान की सरकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थाओं, देशों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

ऐसे में कहा जा सकता है कि पाकिस्तान भविष्य के लिहाज से अपने लिए और भी अधिक अनिश्चितता भरे माहौल की जमीन तैयार कर रहा है।