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शशी कुमार केसवानी
गजलों को महफिलों की गायकी की छवि से आम जनता का हिस्सा बनाने का श्रेय अगर किसी को दिया जा सकता है तो वो हैं जगजीत सिंह। आठ फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्में जगजीत सिंह ने अपनी गायकी से सारी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। शायर और फिल्मकार गुलजार के सीरियल मिर्जा गालिब से जगजीत सिंह का बहुत नाम हुआ। गजल सम्राट जगजीत सिंह की कल पुण्यतिथि है।
70 वर्षीय जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 की सुबह मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया था। अपनी मखमली आवाज के लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे। जालंधर के डीएवी कॉलेज में पढ़ते हुए जब जगजीत सिंह हॉस्टल में रहते थे तो लड़के उनके आसपास के कमरों में रहना पसंद नहीं करते थे क्योंकि जगजीत सिंह सुबह पांच बजे उठ कर दो घंटे रियाज करते थे। वे न खुद सोते थे, न बगल में रहने वाले लड़कों को सोने देते थे। बहुत कम लोगों को पता है कि आॅल इंडिया रेडियो के जालंधर स्टेशन ने उन्हें उपशास्त्रीय गायन की शैली में फेल कर दिया था।
जगजीत सिंह को शास्त्रीय शैली में बी ग्रेड के गायक का दर्जा दिया गया। जगजीत सिंह हर दो साल पर एक एलबम रिलीज करना पसंद करते थे, क्योंकि उनका मानना था कि सुनने वालों को थोड़ी प्रतीक्षा करवानी चाहिए। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जब जगजीत सिंह को पहली बार दिल का दौरा पड़ा था तो उन्हें मजबूरन सिगरेट छोड़नी पड़ी। लेकिन सिगरेट की बातें हमेशा करते थे क्योंकि दिल से नहीं छोड़ पाए थे। उन्हें सिगरेट के कारण अपनी कुछ अन्य आदतों को भी छोड़ देना पड़ा।
मसलन अपने गले को गर्म करने के लिए स्टील के ग्लास में थोड़ी-सी रम गरम पानी में पीते थे। वैसे भी उन्हें पीने और पिलाने का बहुत ही शौक था। कभी अपने किसी शौक को छुपाया नहीं। पब जाना बहुत पसंद रहता था। डरबी में घोड़े भी थे, रेस खेलने में भी मजा आता था कहते थे कि कुछ बदलाव जरूरी है।
एक बार जब जगजीत सिंह पाकिस्तान इंटरनेशनल (पीआईए) के विमान से करांची से दिल्ली लौट रहे थे। तब विमान कर्मियों को जगजीत सिंह के बारे में पता चला तो उन्होंने उनसे अनुरोध किया गया तो वे राजी हो गए। जगजीत भाई वैसे भी दिल फेंक इंसान थे जिस पर दिल आ जाए सब न्यौछावर कर देते थे।
जब तक वो गजल सुनाते रहे विमान के पायलट ने कंट्रोल रूम से संपर्क कर कहा कि वो विमान को लगभग 45 मिनिट तक हवा में ही रखेंगे। उस दिन पीआईए के विमान ने दिल्ली के हवाई अड्डे पर निर्धारित समय से 45 मिनिट देर से लैंडिंग की। ऐसा इसलिए किया गया ताकि उन्हें जगजीत के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का मौका मिल सके। विमान के सभी यात्री जगजीत सिंह को आज भी उन्हें उस तरह से अपना मानते है जैसे उनके परिवार के ही हो। अनंत खूबियों के मालिक जगजीत सिंह की आज पुण्यतिथि है।
बहुत याद आते हो जगजीत भाई
मखमली आवाज के धनी जगजीत सिंह जी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी मखमली पुरजोर, पुरनूर, खनक और दर्द भरी आवाज कानों में गूंजती है। उनके जैसा गजल गायक कोई दूसरा नहीं हो सकता। लौट आओ जगजीत भाई, हारमोनियम खामोश है, हम उदास है।