15 सालों से बैलों की तरह खुद खेत जोतते हैं कर्नाटक के ये भाई-बहन

0
402

कारवार

कर्नाटक के कारवार जिले के छोटे से गांव में रहने वाले इस परिवार के पास रुपये नहीं है। थोड़े खेत हैं, लेकिन इसे जोतने के लिए बैल या दूसरा कोई साधन नहीं है। ऐसे में इस परिवार के भाई-बहन दोनों खुद बैलों की तरह खेत जोतते हैं। ऐसा वे बीते 15 वर्षों से कर रहे हैं।

भाई गिरिधर गुनागी (30) और उनके बहन सुजाता गुनागी (25) इन दिनों खेतों की जुताई का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बारिश से पहले वे खेतों की जोत का काम पूरा करके अनाज और सब्जियां बो देंगे।

कड़ी मशक्कत कर 8वीं तक पढ़ाई की
गिरिधर ने बताया कि जब वह तीन साल का था, तब उसे आर्थराइटिस हो गया था। उसने किसी तरह आठवीं तक पढ़ाई की, लेकिन उसके आगे नहीं पढ़ सका। वह इलाज कराता है। दवाएं खाकर खेतों में जुताई करना और साइकल चलाने जैसा काम भी करता है।

बहन सुजाता ने बताया, ‘मैं और मेरा भाई मां के साथ रहते हैं। मां की उम्र लगभग 70 साल है। हम जैविक खेती करते हैं और उसे मां बाजार में बेचने जाती हैं। हम खेत जोतने के लिए पशु या दूसरे साधन नहीं ले सकते, इसलिए अपने हाथों से खुद खेत जोतते हैं। हम रोज सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे खेत जोतने का काम करते हैं।’

सरकार से भी नहीं मिली कोई मदद
सुजाता ने बताया कि आर्थराइटिस के कारण भाई के शरीर में रोज भयंकर दर्द होता है। वह दर्द से चीखता है और दवाएं खाकर किसी तरह सो जाता है। उसने कहा कि उन्हें बहुत बुरा लगता है लेकिन मजबूरी के कारण वे कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि वे लोग कृषि विभाग से सब्सिडी वाला टिलर लेने गए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

गिरिधर ने बताया कि उनके पिता की 20 साल पहले अचानक मौत हो गई थी। उनकी मां को कई वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा। जब वे लोग थोड़ा बड़े हुए तो खेतों की कमान अपने हाथों में संभाल ली। अब सब्जियां उगाकर बेचने पर जो रुपये मिलते हैं, उनसे वे लोग गुजारा करते हैं।