नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में घिरे रिलायंस डिफेंस को इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए 30000 करोड़ रुपये के आॅफसेट्स में से हो सकता है कि 3 प्रतिशत हिस्सा ही मिले। ईटी को पता चला है कि कंपनी का जॉइंट वेंचर दसॉ रिलायंस एविएशन लिमिटेड फाल्कन एग्जिक्यूटिव जेट्स के कल-पुर्जे बनाने की खातिर एक कारखाना लगाने में अधिकतम 10 करोड़ यूरो यानी 850 करोड़ रुपये निवेश करेगा।
For Rafael contract, Reliance can get shares in offshore shares of 3 million crores for 3 percent
इसके अलावा एवियॉनिक्स और रडार मैन्युफैक्चरर थेल्स के साथ एक जॉइंट वेंचर से एक छोटा सा निवेश आएगा। ईटी को पता चला है कि थेल्स नागपुर के डीआरएएल कॉम्प्लेक्स के पास रडार बनाने के लिए एक असेंबली प्लांट लगा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि राफेल डील के लिए आॅफसेट्स को दसॉ (यह इंटीग्रेटर है), थेल्स (रडार ऐंड एवियॉनिक्स), सैफ्रन (इंजन और इलेक्ट्रॉनिक्स) और एमबीडीए (हथियार) के बीच चार भागों में बांटा गया है।
पिछले महीने तक डिप्टी चीफ आॅफ एयर स्टाफ रहे एयर मार्शल आर नांबियार के मुताबिक 30000 करोड़ रुपये के टोटल कमिटमेंट में से दसॉ एविएशन को आॅफसेट्स में करीब 6500 करोड़ रुपये निवेश करने होंगे। दसॉ एविएशन के चीफ एरिक ट्रैपियर ने कहा है कि रिलायंस डिफेंस के साथ उनकी कंपनी का जेवी राफेल फाइटर जेट डील के लिए इस आॅफसेट दायित्व का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा पूरा करने की दिशा में काम कर रहा है।
उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को दिए इंटरव्यू में कहा, दसॉ एविएशन ने रिलायंस के साथ एक जॉइंट वेंचर ऊफअछ बनाने और नागपुर में एक कारखाना स्थापित करने का निर्णय किया है। इससे इन आॅफसेट आॅब्लिगेशंस का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा पूरा हो जाना चाहिए। हम करीब 100 भारतीय कंपनियों से बात कर रहे हैं। इनमें से लगभग 30 के साथ पार्टनरशिप की जा चुकी है।
ईटी को पता चला है कि आॅफसेट से जुड़ी योजनाओं को अभी औपचारिक रूप नहीं दिया गया है और सरकार के सामने इन्हें नहीं रखा गया है, लेकिन इस डील में रिलायंस डिफेंस का हिस्सा टोटल आॅफसेट्स के करीब 3 प्रतिशत के बराबर रह सकता है। पॉलिसी के मुताबिक आॅफसेट से जुड़ी योजना की जानकारी सरकार को देने की डेडलाइन अक्टूबर 2019 है।
इस कॉन्ट्रैक्ट की दूसरी बेनेफिशियरीज में डीआरडीओ भी है, जिसके लिए कावेरी जेट इंजन प्रोग्राम रिवाइव करने पर बातचीत हो रही है। फ्रांसीसी मैन्युफैक्चरर सैफ्रन वर्क शेयर और टेक्नॉलजी ट्रांसफर पर भारतीय टीम से बातचीत कर रहा है। सैफ्रन अपने आॅफसेट दायित्व का कुछ हिस्सा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के जरिए भी पूरा कर सकता है, जिसके साथ इसका एक जॉइंट वेंचर है। यह जेवी हेलिकॉप्टर इंजन तैयार करने के लिए बनाया गया था। थेल्स अपने आॅफसेट पार्टनर के रूप में लार्सन ऐंड टूब्रो के अलावा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को बड़ा जिम्मा दे सकता है।