भोपाल। सूबे में होने वाले सियासी संग्राम के लिये बीजेपी-कांग्रेस अपनी-अपनी तैयारियों में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती, ताकि चुनावी दंगल में विरोधियों को चारो खाने आसानी से चित कर सकें. लेकिन, 15 सालों से सूबे की सत्ता पर राज कर रही बीजेपी के लिये इस बार की राह आसान नहीं दिखती क्योंकि एक तरफ उसे पार्टी के खिलाफ बढ़ती एंटी इनकम्बेसी को रोकना है तो दूसरी तरफ पार्टी में बगावत पर भी लगाम लगाना है. जो चुनावी समर में किसी चुनौती से कम नहीं है.
For the last 15 years, the BJP has not been able to reach the fourth time
दरअसल, सियासी घमासान से पहले बीजेपी में अंदरूनी घमासान मचा है. चौथी बार कांग्रेस को पटखनी देने का दम भरने वाली बीजेपी को अपनों के बगावत का डर सता रहा है क्योंकि कई लोग अब तक कमल का साथ छोड़ चुके हैं, जिनमें से कुछ कांग्रेस के साथ चल दिये तो कुछ हाथी पर सवार हो गये, पर बीजेपी को डर इस बात से है कि कहीं कोई विभीषण बन गया तो फिर उसका अंजाम क्या होगा. हालांकि, चुनाव के वक्त सभी दलों में भगदड़ मचना आम बात है, पर सत्ताधारी दल के लिए ये भगदड़ बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. अब तक इन दिग्गजों ने छोड़ी बीजेपी.
पद्मा शुक्ला
महाकौशल अंचल के कटनी जिले से आने वाली बीजेपी की कद्दावर नेता और सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त पद्मा शुक्ला ने अचानक पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया. उनके इस कदम से सियासी गलियारों में हड़कप मच गया. पद्मा शुक्ला महाकौशल में बीजेपी की कद्दावर नेता के रुप में जानी जाती थीं. पिछले चुनाव में वे कांग्रेस के प्रत्याशी से बेहद मामूली अंतर से चुनाव हारी थीं. लेकिन, अब उन्होंने खुद को पार्टी में उपेक्षित बताकर कांग्रेस के साथ चली गईं.
कम्प्यूटर बाबा
मध्यप्रदेश सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा का प्राप्त कम्प्यूटर बाबा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. जो बीजेपी के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है. उन्होंने शिवराज सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं. हालांकि, उनके इस इस्तीफे की पीछे कई वजहें हो सकती हैं. कप्प्यूटर बाबा विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट मांग रहे थे. जो शायद उन्हें पूरा होते नहीं दिखा. जिससे नाराज होकर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि कम्प्यूटर बाबा का अगला कदम क्या होगा.
पुष्पराज सिंह
पिछले दिनों विंध्य के दौरे पर आये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में रीवा रियासत के राजा कहे जाने वाले पुष्पराज सिंह ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली. हालांकि, वे पहले भी कांग्रेस में रह चुके हैं. उसके बाद उन्होंने सपा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. सियासी गलियारों में यह बात भी सामने आई थी कि चुरहट विधानसभा सीट से अजय सिंह के खिलाफ बीजेपी पुष्पराज सिंह को उतारने वाली है. लेकिन, अचानक से उनके कांग्रेस ज्वाइन करने पर बीजेपी भी हैरान रह गई. वो तो अच्छा रहा, सही वक्त पर कांग्रेस ने पुष्पराज सिंह को पार्टी में शामिल कर लिया, अन्यथा चुरहट में कांग्रेस को झटका लग सकता था.
नरेंद्र मरावी
शहडोल जिले में बीजेपी को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के दिग्गज नेता नरेंद्र मरावी ने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया. नरेंद्र मरावी ने खुद को भाजपा में उपेक्षित बताते हुए दबाव डालने का आरोप भी लगाया था. नरेंद्र शहडोल में बीजेपी का बड़ा चेहरा माने जाते थे. उनके बगावत का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है.
अभय मिश्रा
विंध्य अंचल में बीजेपी को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब रीवा जिला पंचायत अध्यक्ष और सेमरिया से वर्तमान बीजेपी विधायक नीलम मिश्रा के पति अभय मिश्रा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद अभय मिश्रा ने कांग्रेस की सदस्यता भी ले ली. सियासी गलियारों में हलचल तेज है कि कांग्रेस उन्हें बीजेपी के कद्दावर मंत्री राजेंद्र शुक्ल के खिलाफ चुनाव में खड़ा कर सकती है.
पुष्कर सिंह तोमर
सतना के पूर्व महापौर पुष्कर सिंह किसी समय में बीजेपी का बड़ा चेहरा माने जाते थे. जो अब हाथी पर सवार हो गये हैं. इन्हें बसपा ने सतना से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है. सवर्णों के बीच इनकी खासी पैठ है, ऐन वक्त पर पुष्कर का हाथी पर सवार होना बीजेपी के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
लक्ष्मण तिवारी
एससी-एसटी एक्ट में हुए संसोधन के खिलाफ बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी के इस्तीफे से पार्टी में हड़कप मच गया. उन्होंने बीजेपी पर नीतियों से हटकर काम करने का आरोप लगाते हुये कमल का दामन छोड़ दिया. तिवारी विंध्य अंचल में बीजेपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे.
दीपक पचौरी
महाकौशल अंचल में बीजेपी के कद्दावर नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाने वाले दीपक पचौरी के इस्तीफे से बीजेपी में खलबली मच गई. दीपक जबलपुर सहित पूरे अंचल में एक व्यापक जनाधार वाले नेता माने जाते थे. उन्हें सवर्णों का भी अच्छा समर्थन हासिल था. लेकिन, आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
इन सब नेताओं के अलावा भी बीजेपी में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है. होशंगाबाद बीजेपी जिलाध्यक्ष रघुंनदन शर्मा, पूई विधायक सुनील मिश्रा, नरेश जिंदल, अशोक गर्ग, बृजेंद्र तिवारी जैसे कई और नाम भी इस्तीफा देने वालों की लिस्ट में शामिल हैं.
चुनावी समर से पहले बीजेपी में अंतर्द्वन्ध क्यों?
तीन बार से सूबे की सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिये 2018 का चुनाव अबतक का सबसे मुश्किल चुनाव माना जा रहा है. एट्रोसिटी एक्ट से लेकर किसान आंदोलन तक कई मुद्दे बीजेपी के गले की फांस बने हैं. वहीं, टिकट वितरण भी पार्टी की एक बड़ी समस्या बनी हुई है. तीन बार से सत्ता पर काबिज बीजेपी का राज्य में बड़ा संगठन बन गया है.
यही वजह है जिन्हें टिकट की आस कम है, वह पार्टी छोड़ रहे हैं, जबकि घर वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस भी बीजेपी के नेताओं पर डोरे डाल रही है. जिसकी एक बानगी कमलनाथ ने पेश कर ही दी है. कमलनाथ के बयान के अनुसार बीजेपी के कई नेता कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं. ऐसे में चुनावी समर में बीजेपी इस बगावत को कैसे रोकती है, ये देखना दिलचस्प होगा.