वर्ल्ड डेस्क
अमेरिका में दो आईटी स्टाफिंग कंपनी में काम करने वाले चार भारतीय-अमेरिकी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनपर आरोप है कि इन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर अनुचित लाभ पाने के लिए एच-1बी वीजा कार्यक्रम का गलत इस्तेमाल किया है।
एच-1बी गैर-आव्रजक वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को आईटी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। अमेरिकी सरकार के डाटा के अनुसार बीते साल 309,986 एच-1बी वीजा (74 फीसदी) भारतीयों को मिले थे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने बीते साल एच-1बी वीजा के प्रावधानों में बदलाव की घोषणा की थी। जिसके तहत बेहद कुशल विदेशी पेशेवरों को ही वीजा मिल सके।
न्याय विभाग के अनुसार न्यूजर्सी से विजय मणे (39), वेंकटरमन मन्नम (47) और फर्नाल्डो सिल्वा (53) को गिरफ्तार किया गया है। जबकि कैलिफोर्निया से सतीश वेमुरी (52) को गिरफ्तार किया गया है। वीजा धोखाधड़ी के लिए साजिश के आरोप में सभी को गिरफ्तार किया गया है।
वेमुरी की एक जुलाई को नेवार्क संघीय अदालत में अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज स्टीवन सी मेनियन के सामने पेशी हुई। वहीं मन्नान और सिल्वा को अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज लेडा डुन वेट्टरे के सामने 25 जून को पेश किया गया। इसके अलावा माणे को 27 जून को जज वेट्टरे के सामने पेश किया गया। न्याय विभाग का कहना है कि सभी को दो लाख 50 हजार अमेरिकी डॉलर के बांड पर रिहा कर दिया गया था। साजिश के जुर्म में अधिकतम पांच साल की जेल की सजा का प्रावधान है।
विभाग के अनुसार शिकायत में कहा गया है कि माणे, मन्नम और वेमुरी न्यूजर्सी में दो आईटी स्टाफिंग कंपनी का काम देखते हैं। वहीं सिल्वा और मन्नान न्यूजर्सी में एक अन्य कंपनी का काम देखते हैं। इन्होंने विदेशी नागरिकों की भर्ती के लिए प्रोक्योर और क्रिप्टो का इस्तेमाल किया और उन्हें एच-1बी वीजा के लिए प्रायोजित किया गया। ये लोग वीजा की एप्लीकेशन को गलत तरह से भरते थे।
गलत एप्लीकेशन वाले लोगों को क्लाइंट कंपनियों में जल्दी नौकरी मिल जाती थी, जिससे इनकी कंपनी को अन्य कंपनियों के मुकाबले अधिक फायदा पहुंचता था।