सरकार के तमाम दावे खोखले: नदी में नहीं बना पुल, जान खतरे में डाल स्कूल जाते हैं बच्चे

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इंदौर। प्रदेश में नौनिहालों की शिक्षा के लिए तमाम संसाधन मुहैया कराने के दावे किए जा रहे हों लेकिन मालवा अंचल में अभी भी कुछ ऐसे स्कूल हैं, जहां बारिश के दिनों में पहुंचने के लिए बच्चों को अपनी जान खतरे में डालनी पड़ रही है। इंदौर जिले सीमा से सटे देवास जिले के हिरली गांव में फिलहाल पांचवी कक्षा तक ही स्कूल है। दसवीं कक्षा तक पढ़ाई के लिए उन्हें मजबूरन क्षिप्रा नदी पार कर इंदौर जिले के सिमरोल गांव स्थित शासकीय हाईस्कूल में आना पड़ता है। दोनों गांवों के बीच से बहने वाली क्षिप्रा नदी पर यहां अब तक पुल नहीं बन सका है।
Government claims all the hollow: the bridge does not make the river, lives in danger, go to school children
यूं तो नदी पार नहीं करने की स्थिति में बच्चे एक अन्य कच्चे रास्ते से भी आ सकते हैं, लेकिन वह पांच किमी लंबा रास्ता है, लिहाजा ग्रामीणों ने यहां क्षिप्रा नदी पार करने के लिए प्लास्टिक के ड्रमों को जोड़कर एक अस्थाई नाव बना रखी है जो बारिश के दिनों में नदी में ही छोड़कर रखी जाती है और इसी जुगाड़ की नाव से बच्चे नदी पार करते हैं।

गौरतलब है देवास कि हिरली गांव के 50 से ज्यादा बच्चे इंदौर जिले के इस स्कूल में 10 वीं कक्षा से नामांकित हैं वे रोज ही एक के बाद एक करके ड्रमों की नाव पर सवार होते हैं फिर दूसरे किनारे पर मौजूद ग्रामीण इस जुगाड़ से बनी नाव से बंधी रस्सी को खींच लेते हैं।

मंजूरी के बाद भी नहीं बना पुल
गौरतलब है यहां 2016 में सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान नर्मदा नदी से पानी क्षिप्रा में छोड़ने के दौरान यहां अस्थाई पुल बनाया गया था। हालांकि उसी दौरान यहां नदी के दोनो तरफ विभिन्न छोटे पुलों का निर्माण होना था, जिसके लिए सिंहस्थ मद में अंचल के ऐसे छोटे पुलों को बनाने के लिए 428 करोड़ रुपये की मंजूरी भी हुई थी लेकिन उस दौरान समय कम होने के कारण अस्थाई पुल से काम चला लिया गया था।

कलेक्टर ने बुलाई बैठक
सिंहस्थ गुजर जाने के बाद अब जिम्मेदारों ने इस पुल के निर्माण को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब मामला उजागर होने पर इंदौर जिला प्रशासन का तर्क है कि बच्चों को स्कूल जाने के लिए एक सड़क है, लेकिन वे ग्रामीणों के साथ शार्टकट के कारण अपनी जान खतरे में डालते हैं, हालांकि अब यहां पुल के संबंध में जो भी बाधाएं हैं अब उन्हें दूर करने की पहल हो रही है। इधर देवास जिले के कलेक्टर श्रीकांत पांडेय ने भी पुल की निमार्णाधीन एजेंसी और स्कूल शिक्षकों के साथ इस समस्या के हल को लेकर बैठक बुलाई है।