सरकार का चीनी मिलों को सब्सिडी देने का फैसला

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड सब्सिडी देने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में गन्ना किसानों 5.5 रुपए प्रति क्विंटल सब्सिडी देने का फैसला किया है। इससे नकदी के संकट से गुजर रही चीनी मिलों को गन्ना बकाया चुकाने में मदद मिलेगी। ग्रुप आॅफ मिनिस्टर्स ने सब्सिडी की सिफारिश की थी। सरकार किसानों के चीनी मिलों पर बढ़ते बकाये से परेशान है।
Government decides to subsidize sugar mills

अभी चीनी मिलों पर करीब 20 हजार करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट कमिटी आॅन इकोनॉमिक अफेयर्स (सीसीईए) ने गन्ना किसानों के लिए 55 रुपए प्रति टन (5.5 रुपए प्रति क्विंटल) प्रोडक्शन लिंक्ड सब्सिडी देने को मंजूरी दे दी। सरकार की ओर से यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य कर्नाटक में 12 मई को विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होने वाला है। बता दें, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है।

पहले मिली थी 4.5 रुपए सब्सिडी
चीनी इंडस्ट्री से जुड़े संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएसन (इस्मा) ने सरकार से किसानों को 10-12 रुपए प्रति क्विंटल सब्सिडी देने की सिफारिश की थी। 2015-16 सीजन के दौरान भी किसानों को 4.5 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से सब्सिडी दी गई थी। कैबिनेट के फैसले के बाद चीनी कंपनियों के शेयर में 4.44 फीसदी तक की तेजी देखी गई। इंडियन सुक्रोज 4.44 फीसदी, केसर इंटरप्राइज 4.05 फीसदी, सिम्भावली शुगर्स 3.80 फीसदी, धामपुर स्पेशियलिटी शुगर्स 3.65 फीसदी, राणा शुगर्स 3.64 फीसदी, केएम शुगर मिल्स 2.40 फीसदी और बलरामपुर चीनी मिल्स 1.79 फीसदी की बढ़त देखी गई।

गन्ने का रकबा बढ़ा
कृषि मंत्रालय के अनुसार, फसल सीजन 2017-18 में गन्ने की बुवाई बढ़कर 49.95 लाख हेक्टेअर में हुई थी। जबकि इसके पिछले साल किसानों ने 45.64 लाख हेक्टेअर में गन्ने की बुवाई की थी। इस्मा के अनुसार, चालू पेराई सीजन में पहली अक्तूबर 2017 से मध्य अप्रैल तक चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन 299.80 लाख टन हो चुका है, जबकि अभी भी चीनी मिलों में पेराई चल रही है। इस दौरान यूपी, महाराष्ट्र फिर कर्नाटक में किसान सर्वाधिक परेशानी झेल रहे हैं।