चुनावी साल में सब्जियों के दामों से निपटने सरकार तैयार, आॅपरेशन ग्रीन के लिए दिए 500 करोड़

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नई दिल्ली। देश में प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव हमेशा से राजनीतिक बदलाव के लिए भी जिम्मेदार रही हैं। एनडीए सरकार यह नहीं चाहती कि 2019 की उसकी वापसी की संभावना में किसी भी तरह की अनिश्चितता की स्थिति रहे। सरकार की ओर से इसे लेकर प्रयास किया जा रहा है कि चुनावी साल में ऐसा कुछ न हो सके।
Government ready to deal with the prices of vegetables in election year, 500 crores for Operation Green
इसी मकसद से सरकार ने आॅपरेशन ग्रीन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसका मकसद राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और कीमतों के उतार-चढ़ाव से गुजरने वाली सब्जियों- आलू, टमाटर और प्याज की बेहतर सप्लाइ सुनिश्चित करना है।  अंतर-मंत्रालयी समूह की बैठक में यह बात निकलकर सामने आई है कि आलू और प्याज की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की वजह उत्पादन नहीं बल्कि स्टोरेज है। मीटिंग में यह बात सामने आई कि आलू अपने आप में कम समस्या है क्योंकि इसे कोल्ड स्टोरेज में 8 महीनों तक रखा जा सकता है। यही नहीं कोल्ड स्टोरेज की संख्या इतनी है कि इसे बड़े पैमाने पर रख सकते हैं।

हालांकि प्याज अपने आप में सरकार के लिए एक समस्या है। इसकी वजह यह है कि बड़े पैमाने पर इसकी पैदावार पश्चिमी भारत में ही होती है। इसे वेंटिलेटिड स्टोरेज में 4 से 6 महीने के लिए रखा जा सकता है, लेकिन स्टोरेज की यह व्यवस्था देश में पर्याप्त रूप से मौजूद नहीं है। अकसर देखा जाता है कि प्याज की किल्लत गर्मी के मौसम में शुरू हो जाती है और फिर जल्दी ही शहरी मार्केट में खासी कमी दिखाई देती है।

इसलिए सरकार ने प्याज रखने के लिए वेंटिलेटिड स्टोरेज फैसिलिटी तैयार करने को बड़ा बजट तैयार करने की तैयारी है। कैबिनेट की ओर से जल्दी ही ऐसी योजना को मंजूरी दी जा सकती है। सबसे पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसा राज्यों में यह सुविधा विकसित की जाएगी। इसके अलावा दिल्ली में प्याज की बेहतर सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल प्लान तैयार किया जाएगा। इसकी वजह यह है कि दिल्ली में प्याज की कीमत अकसर चर्चा में आती रही है और राजनीतिक मुद्दा बनती रही है।