सरकार के संघर्ष विराम से पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 फीसदी आई कमी

0
191

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रमजान के महीने में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ आॅपरेशनों को रोकने का ऐलान करते हुए एकतरफा संघर्षविराम का ऐलान किया था। इसके अच्छे नतीजे मिलते दिख रहे हैं और स्थानीय लोगों की भावनाओं में तब्दीली आ रही है। ऐसे में सरकार संघर्षविराम को और आगे बढ़ा सकती है।
Government reduces 90 percent of mother-in-law stabbing incidents
एक अधिकारी ने बताया कि रमजान के दौरान सुरक्षा बलों ने एक भी सर्च आॅपरेशन नहीं चलाया और न ही किसी रिहायशी इलाके को खाली करवाया। इसका परिणाम यह हुआ कि सुरक्षाबलों और सिविलियंस में कोई झड़प नहीं हुई। पिछले 4 हफ्तों से पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 प्रतिशत की कमी आई है।

सुरक्षा प्रतिष्ठानों के साथ-साथ राजनीतिक नेतृत्व में भी इस बात को लेकर बहस चल रही है कि रमजान में लागू किए गए संघर्षविराम को और आगे बढ़ाया जाए। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों के घुसपैठ जारी रहने को देखते हुए सरकार इस मूड में है कि सेना और अन्य एजेंसियां किसी खास जगह पर आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना पर पहले की तरह कार्रवाई करें।

भारी हथियारों से लैस आतंकियों के खिलाफ आॅपरेशन के दौरान संबंधित इलाके की बिजली और पानी की सप्लाइ काट दी जाती है ताकि बहुत ज्यादा बल प्रयोग से होने वाली ‘अवांछित’ मौतों से बचा जा सके। हालांकि इससे स्थानीय लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। ऐंटी-टेरर आॅपरेशन को सस्पेंड करने को लेकर अंतिम फैसला अभी लिया जाना बाकी है लेकिन सूत्रों का कहना है कि बहुत संभव है कि संघर्षविराम को और आगे बढ़ाया जाए। अगर पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की तरफ से अगले कुछ दिनों में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ तो संघर्षविराम को रमजान के बाद भी जारी रखा जा सकता है।

वैसे बड़े आतंकी हमलों की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता खासकर तब जब ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी करक घाटी में शांति के माहौल को खराब करना चाहती है। हालांकि जंगल के इलाकों में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई धीमी नहीं हुई है। संघर्ष विराम के बाद से जंगलों में 3 काउंटर-आॅपरेशंस में 8 आतंकी ढेर हुए हैं।