भोपाल
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार जल्द ही निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के लोगों को 70 फीसदी आरक्षण देने का कानून लाने की तैयारी में है। मंगलवार को विधानसभा में एक सवाल पर कांग्रेस और भाजपा विधायकों की नोकझोंक के बीच मुख्यमंत्री ने सदन को यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि प्रदेश में कई सालों से यहां के बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है, जो चिंता का विषय है। हमारी सरकार ने आते ही निजी क्षेत्र में 70% रोजगार स्थानीय लोगों को देने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि,” गुजरात महाराष्ट्र और बंगाल में वहां की सरकारें प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी भाषा का एक प्रश्न पत्र रखती हैं, जिसके चलते मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों के लोगों को अवसर कम मिल पाते हैं। हम भी यह विचार कर रहे हैं कि प्रदेश के लोगों को सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों में प्राथमिकता मिले।”
सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने यशपाल सिंह सिसोदिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने अधिकतम आयु सीमा को लेकर निर्देश दिए थे, जिसके मद्देनजर पहले अधिकतम आयु सीमा सबके लिए 35 वर्ष और फिर अब प्रदेश के युवाओं के हितों को देखते हुए 40 वर्ष कर दी गई है। विधि विभाग का इस मामले में स्पष्ट मत था कि निवास के स्थान पर कोई भेद नहीं किया जा सकता है, वरना अवमानना हो सकती है। लेकिन हमने यह प्रावधान कर दिया है कि सरकारी नौकरियों के लिए प्रदेश के रोजगार कार्यालय में पंजीयन होना जरूरी होगा पंजीयन कार्यालयों में सिर्फ मध्यप्रदेश के लोगों का ही पंजीयन होता है।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद कमलनाथ ने कहा था कि मध्य प्रदेश की नौकरियां अन्य राज्य के लोगों के पास जा रही हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग यहां की नौकरियों पर कब्जा जमा रहे हैं। हमारी सरकार इसे रोकने के लिए काम करेगी। ऐसे में कमलनाथ सरकार लोगों से किए वादे को पूरा करने के लिए अब निजी क्षेत्र में राज्य के मूल निवासियों को आरक्षण देने का कानून लाने जा रही है।