नई दिल्ली। टेरर फंडिंग मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हुर्रियत नेताओं की संपत्ति जब्त करने का फैसला किया है। सरकार लश्कर के चीफ हाफिज सईद के पैसों से बनाई गई हुर्रियत नेताओं की संपत्ति को जब्त करेगी। आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन मुहैया कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखते हुए 13 और लोगों की पहचान की है और ये लोग अब सरकार के निशाने पर हैं। इन नेताओं पर आतंक की फंडिंग के जरिए करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाने का आरोप है। इन लोगों में हिज्बुल मुजाहिदीन के संस्थापक सैयद सलाहुद्दीन, हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद का नाम के अलावा अन्य हुर्रियत नेता एवं कारोबारी शामिल हैं जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारों पर आतंकवादियों एवं पत्थरबाजों को कथित तौर पर धन मुहैया कराते हैं।
केंद्र ने आतंकवाद को आर्थिक मदद देने वालों की संपत्तियां बड़े पैमाने पर जब्त भी करनी शुरू कर दी हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 13 ऐसे लोगों एवं उनकी संपत्तियों की पहचान की है और कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन जांचों के दौरान पाया गया है कि पहचाने गए लोग लश्कर-ए-तैयबा एवं हिज्बुल मुजाहिदीन समेत सभी बड़े आतंकवादी समूहों के साथ ही जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत नेताओं, अलगाववादियों एवं पत्थरबाजों को धन मुहैया कराते हैं। सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूश, नईम अहमद खान, फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शहीदुल इस्लाम, पाक में मौजूद हिज्बुल चीफ सैय्यद सलाउद्दीन, अकबर खंडी, राजा मेहराजुद्दीन, पीर सैफुल्ला, जहूर अहमद वताली सहित 11 अलगाववादियों की संपत्ति जल्द ही जब्त होगी।
एक अधिकारी ने दावा किया कि इन पैसों का इस्तेमाल हुर्रियत के शीर्ष नेतृत्व के प्रबंधन एवं प्रचार-प्रसार की बड़ी मशीनरी को बरकरार रखने के लिए भी किया जाता है ताकि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों में केंद्र के खिलाफ दुर्भावना पैदा कर सकें। अधिकारी ने कहा कि इस धन का उपयोग मीडिया संपर्कों, अखबारों एवं सोशल मीडिया के जरिए गलत सूचनाएं फैलाने के लिए भी किया गया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले टेरर फंडिंग के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक से पहले पूछताछ भी कर चुकी है।