राघवेंद्र सिंह
भारतीय जनता पार्टी में जिन संगठन मंत्रियों के जिम्मे कार्यकर्ताओं को तराश कर नेता बनाने का काम था वे खुद ही नेता बनने में लग गए हैं। अर्थात हलवाई खुद मिठाई खाने लगे हैं। इसलिए आने वाले दिनों में कुछ और भी गुल गुलगपाड़ा हो तो सदमें में आने के बजाय दिल थाम कर बैठिए। पिछले दिनों निगम मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर 25 नेताओं की नियुक्ति की गई है। उससे तो ऐसा ही होता दिख रहा है। कांग्रेस भी इन नियुक्तियों पर टीका टिप्पणी कर भाजपा के वफादरों के मजे ले रही है। भाजपा के एक नेता ने अलबत्ता कहा है कि लंबे समय तक संगठन में काम करने वाले व्यक्तियों को लाभ का पद मिलने पर बधाई… यद्पि इस आशय की सामान्य सी पोस्ट को बाद में सोशल मीडिया से हटा लिया गया। अब इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं।
निगम मंडलों में नियुक्तियों की पहली सूची के बाद एक पुराने नेता ने कहा है कि संगठन और सरकार में हैं वे अपनी पूरी ऊर्जा सुधार करने बजाए अपनी इज्जत और पद बचाने में लगे हैं।
भाजपा में ताजा हालात को लेकर छाए सन्नाटे पर एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर पुराने जमाने का एक किस्सा सुनाया। बात उस समय की है जब मध्य प्रदेश भाजपा के प्रभारी वरिष्ठ नेता सुंदर सिंह भंडारी हुआ करते थे। संगठन चुनाव के दौरान हुई गुटबाजी से तंग आ गए थे। एक बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा कि यहां की गुटबाजी कैसे खत्म की जाए? इस पर एक कार्यकर्ता ने हाथ उठाया उन्होंने उसे मंच पर बुलाया इसके बाद जो कुछ कहा गया उससे गुटबाजी के किस्से प्याज के छिलके की तरह उतरते चले गए। कार्यकर्ता ने कहा अगर टंकी में कचरा हो तो टोटिया साफ करने से दूर नहीं होगा। असल में गुटबाजी ऊपर के नेताओं में है हम तो किसी ना किसी नेता से जुड़े होते हैं इसलिए उस हिसाब से काम करते हैं। हमारे ही जिला अध्यक्ष के निर्वाचन में विवाद था। शिकायत आप तक पहुंची थी। आप जो निर्णय करने वाले होते थे वह हमें पहले ही पता चल जाता था। क्योंकि आपने फोन पर जिन कार्यकर्ताओं को कार्यवाही करने के बारे में बताया था वह हमें बता दिया करते थे क्योंकि हम कार्यकर्ता तो नीचे एक हैं गुटबाजी ऊपर हैं बेहतर हो टंकी साफ करें टोटियां साफ करने या बदलने से कुछ नहीं होगा। इसके बाद भंडारी जी ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश का मामला है और यहां के संबंध में बोलने और निर्णय करने के पहले मैं कई बार सोचूंगा। जब उनसे पूछा गया अब ऐसा क्यों नहीं होता तो नेताजी का जवाब था पहले कुशाभाऊ ठाकरे जी और प्यारेलाल खंडेलवाल जी जैसे संगठन में काम करने वाले थे जो कार्यकर्ताओं की बात सुनते थे और सही होने पर अमल भी करते थे। लेकिन अब जातिवाद और पसंद ना पसंद इतनी हावी है कि पार्टी हित किनारे हो गए। यही वजह है कि संगठन में काम करते हुए जिन संगठन मंत्रियों को भ्रष्टाचार और गुटबाजी के अलावा अन्य तरह के गंभीर आरोपो के चलते पद से हटाया गया था निगम मंडलों में महत्वपूर्ण दो से नवाजा गया है।
एक भाजपा नेता ने तो कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण हम सरकार में हैं इसलिए उनके समर्थकों को मंत्री बनाने और निगम मंडलों में नियुक्त करने का फैसला एक तरह से तर्कसंगत माना जा सकता है लेकिन लंबे समय तक संगठन में काम कर पार्टी में गुटबाजी और गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों को सरकारी पदों से नवाजना ठीक नहीं लगा। विंध्य क्षेत्र के रीवा सीधी और सतना में खासी नाराजगी है। इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर पूर्व संगठन मंत्री और देवास से ताल्लुक रखने वाले जयपाल छाबड़ा को लेकर स्थानीय नेता व कार्यकर्ताओं में असंतोष है। इसी तरह कभी होशंगाबाद के संगठन मंत्री रहे जितेंद्र लिटोरिया पर भी टिकट वितरण में गड़बड़ी भ्रष्टाचार और गुटबाजी का आरोप लगे थे। दो अन्य पूर्व संगठन मंत्री में शामिल आशुतोष तिवारी और शैलेंद्र बरुआ पर भी गंभीर आरोप थे इसी के चलते उन्हें संभागीय संगठन मंत्री के पद से मुक्त किया गया था। भाजपा ने संभागीय संगठन मंत्री के कामकाज दोषपूर्ण होने पर इस व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया। अब जिनके चलते व्यवस्था को बदलना पड़ा उन्हें निगम मंडलों में पद देना भाजपा के मैदानी नेता और कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर रहा है।
अब कार्यसमिति में तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल के बाद न तो विस्तार से राजनीतिक प्रस्ताव आते हैं और न विस्तार से मंडल स्तर तक के कार्यक्रम तय होते हैं। साथ ही न ही कार्यकर्ताओं के सुझाव लिए जाते हैं। इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि जिले और मंडल में संगठन हित में क्या काम हो रहा है इसकी भी कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा रही और जो थोड़ी बहुत होती है उस पर सुधार संबंधी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा भी चल रहा है…
सोशल मीडिया से मिली
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कांग्रेस की तर्ज पर .. भाजपा में चौंकाने वाली मनमानी नियुक्ति
भारतीय जनता पार्टी में सालों से काम करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं का स्थान व्यक्तिगत पसंद और मैनेजमेंट ने ले लिया है। इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद पर इंदौर संभाग के पूर्व संगठन मंत्री जयपाल सिंह चावड़ा की नियुक्ति आश्चर्यजनक ही नहीं अतार्किक भी है. इंदौर के विकास को लेकर या इंदौर की जन समस्याओं को लेकर कभी जयपाल सिंह चावड़ा का कोई योगदान छात्र जीवन से आज तक इंदौर के इतिहास में नहीं रहा है.. देवास के रहने वाले परिवार के व्यक्ति को देवास विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया जाना तो ठीक है– पर इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष कई वर्षों से काम कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं मजाक उड़ाना ही माना जाएगा।
सालों से काम कर रहे मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व संगठन महामंत्री पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे.. पूर्व विधायक पूर्व भाजपा अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा…. पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी गोविंद मालू…. पूर्व विधायक प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष जीतू जिराती… वरिष्ठ नेता ललित पोरवाल… पूर्व भाजपा अध्यक्ष पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता.. आलोक डाबर.. अजय सिंह नरूका.. हरिनारायण यादव.. कैलाश शर्मा… जैसे ताकतवर 20-25 नामों को दरकिनार कर….. कांग्रेस की तर्ज पर लिया गया यह भाजपा संगठन का फैसला इंदौर जैसे बड़े शहर के साथ कितना न्याय कर पाएगा यह आने वाला समय बताएगा?
एक दौर था जब राजेंद्र धारकर और नारायण धर्म उत्सव चंद पोरवाल भंवर सिंह शेखावत जैसे दमदार नेता इंदौर में होने वाली किसी भी प्रशासनिक अथवा राजनीतिक नियुक्ति के पूर्व परस्पर चर्चा करके निर्णय लेते थे। मजाक बन चुका भारतीय जनता पार्टी का पूरा संगठन खुद अपने इतिहास पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है?
पूर्व में इंदौर विकास प्राधिकरण इंदौर नगर निगम इंदौर नगर भाजपा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करके सहमति के आधार पर निर्णय करने की परंपरा भाजपा में रही है। इस नई भाजपा में पुराने लोगों को बोलने का बहुत अधिक अधिकार भी नहीं बचा है। इंदौर में संभागीय संगठन मंत्री रहते हुए भी जयपाल सिंह चावड़ा की कोई खास लोकप्रियता नहीं रही– कुछ अपने पसंदीदा लोगों को बिना किसी से पूछे पदाधिकारी बनाने के अलावा –निचले स्तर पर आम संगठन के समर्पित कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उन्होंने कोई काम नहीं किया। चावड़ा के खिलाफ तो भारतीय जनता पार्टी की बैठकों में सरेआम कार्यकर्ताओं ने खड़े होकर आपत्तियां भी वरिष्ठ नेताओं को दर्ज कराई थी।
दुर्भाग्य से अपनी आंखों के सामने भाजपा संगठन को कमजोर होते देखते भाजपा नेता भी सिर्फ अपने पद को बचाने का संघर्ष कर रहे हैं …..तभी तो इंदौर से इसके पूर्व की शिवराज सरकार में एक भी मंत्री नहीं बन पाया था। सिंधिया की कृपा से विधायकों को भाजपा में लाकर बैसाखी से बनी सरकार में भी . महेंद्र हार्डिया .. रमेश मेंदोला जैसी खाटी कार्यकर्ताओं का स्थान अन्य नेताओं ने ले लिया है….. इतना तो स्पष्ट हो गया है संगठन स्तर पर होने वाले निर्णयों में भाजपा संगठन के कार्यकर्ताओं की कोई भूमिका नहीं रही है।
जब चावड़ा को इंदौर संभाग के संगठन मंत्री पद से मुक्त किया गया था तब उन्हें भाजपा प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया था तब भी उनके नाम के आगे देवास जिला लिखा था।
दुर्भाग्य से आज इंदौर जैसे मजबूत भाजपा संगठन में नेता और कार्यकर्ता नहीं बचे…. जो इस प्रकार के निर्णय के खिलाफ खड़े हो सके। जो नेता अपनी बात रखना चाहेंगे उनकी सुनने कौन वाला है..?