भाजपा पर भारी नया मीडिया सेंटर…

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बाखबर /
राघवेंद्र सिंह

मध्यप्रदेश भाजपा के नेताओं का कार्यकर्ता और जनता से संपर्क और संवाद अच्छा रहा है, इसीलिए पार्टी तीन बार से सरकार में है। 15 साल की सत्ता स्वत: ही प्रमाण है कि भाजपा के मजबूत जनसंपर्क का। कई बार मुख्यमंत्री और मंत्री के अपने संबंध संगठन के संवाद प्रमुखों और सरकार के जनसंपर्क अधिकारियों से ज्यादा मजबूत होते हैं। लेकिन अब भाजपा संगठन जिस तरह मीडिया सेंटर को अत्याधुनिक रूप दे रहा है उससे निकटता बढ़ने की बजाय दूर की खबरें ज्यादा आ रही हैं। इस तरह की बात का कहा जाना भी बताता है कि नया सेंटर लाभ का कम, घाटे का सौदा ज्यादा साबित हो रहा है।
Heavy new media center on BJP …
भाजपा के सिस्टम से छनकर आ रही खबरें बताती हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की योजना के मुताबिक भारी भरकम खर्च वाला मीडिया सेंटर बनाया गया। इस मामले में प्रदेश भाजपा और सरकार में बैठे लोग भी नई व्यवस्था से सहमत नहीं थे। बताते हैं कि यहीं से प्रदेश भाजपा और टीम अिमत शाह के बीच मीडिया को लेकर मतभेद शुरू हुए। शाह का हुकुम था इसलिए होटल में मीडिया सेंटर तो बना दिया गया, लेकिन 15 दिन बाद तक उससे लाभ कम, पार्टी को नुकसान ज्यादा उठाने पड़े।

आर्थिक पक्ष भाजपा का इतना मजबूत है कि उसके दो-चार करोड़ मीडिया को लेकर पानी में बह भी जाएं तो कोई फर्क नहीं पड़ता। भोपाल में मीडिया की नई व्यवस्था को लेकर समझो पैसे पानी में बह गए। होशंगाबाद रोड पर स्थित होटल में खोला गया मीडिया सेंटर अभी तक पैसा खर्च करने का अड्डा ज्यादा बना है, काम करने का कम। यहां भाजपा कार्यकतार्ओं के बजाय होटल प्रबंधन के लोग नजर आते हैं। संबित पात्रा के आने पर भी चहेते पत्रकारों को आमंत्रित किया जाता है।

इस सेंटर में सोशल मीिडया पर निगरानी करने के लिए भाजपा के कार्यकतार्ओं के स्थान पर प्रोफेशनल्स तैनात किए गए हैं। इन तमाम लोगों को न तो भाजपा के बारे में पता है और न ही वह राज्य की राजनीति और मीडिया की तासीर से वाकिफ हैं। कुल मिलाकर मामला भाजपा के लिए आएदिन मुश्किल खड़ी करने वाला ज्यादा बनता जा रहा है।

नया सेंटर अभी तक उपयोग पार्टी की खबरों को लोगों तक पहुंचाने की बजाय आपसी विवाद और टांगखिंचाई का केंद्र ज्यादा बना हुआ है। लगभग 2 करोड़ की लागत वाले मीडिया सेंटर को चुनने के मामले में नेताओं की हिस्सेदारी की चचार्एं भी हैं। भाजपा नेता के परिचित का होटल होने की वजह से उसे आर्थिक लाभ से जोड़कर भी देखा जा रहा है। पत्रकारों के नाम पर कुछ कार्यकर्ता और खबरों के मामले में कम महत्व के लोगों की आवाजाही ज्यादा है।

अभी तक नए मीडिया सेंटर को लेकर भाजपा के नेता भी संतुष्ट नहीं हैं। लेकिन शाह का आदेश है तो उस पर नाम के लिए अमल जरूर किया जा रहा है। ऐसी हालत रही तो प्रदेश भाजपा कार्यालय फिर खबरों का केंद्र बनेगा और करोड़ों का यह मीडिया प्रबंधन पानी में ही जाने का रास्ता देखेगा। इसमें बदली जा रही व्यवस्थाएं भी बताती हैं कि इसे जल्दबाजी में शुरू किया गया है। हो सकता है कि बड़े नेताओं के आने पर इसका उपयोग हो, फिलहाल तो होटल में बने इस सेंटर में सूनापन और सन्नाटा ज्यादा है।