चंबल में भारी जलसंकट: गांव के लोगों को प्यास बुझाने मगरमच्छों से करना पड़ता है संघर्ष

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भिंड। चंबल नदी के किनारे बसे दिन्नपुरा गांव के लोगों को अब अपनी प्यास बुझाने के लिए मगरमच्छों और घड़ियालों से लड़ना पड़ रहा है, ऐसे में नजर की एक छोटी सी चूक उन्हें मौत के मुंह में धकेल सकती है। लिहाजा प्यास बुझाने के लिए जान जोखिम में डालना उनकी मजबूरी है।
Heavy water scarcity in Chambal: People of the village have to quench the thirst of the crocodile
दरअसल, चंबल नदी के किनारे बसा दिन्नपुरा गांव जल संकट से जूझ रहा है। गांव के कुएं और हैंडपंप का पानी सूख चुका है, अगर पानी आ भी जाए तो वह पीने लायक नहीं होता है। पानी के लिए बचे इकलौते हैंडपंप से खारा पानी आता है। खारापन भी इतना की पानी हलक से नीचे नहीं उतरता। गांव में मौजूद कुंए का पानी भी यही हाल है। लिहाजा गांव के लोगों को पीने के पानी के लिए चंबल नदी का रुख करना पड़ता है।

गांव से तीन किलोमीटर दूर चंबल नदी से पानी लाना मौत के मुंह से वापस आने जैसा है। गांव के करीब जो घाट पड़ता है, वहां बड़ी संख्या में घड़ियाल और मगरमच्छ विचरण करते रहते हैं। मगरमच्छों की वजह से इस घाट को मघेरा घाट के नाम से जाना जाता है। गांव को लोग झुंड बनाकर रोजाना पानी भरने जाते हैं। लेकिन जब लोगों का सामना मगरमच्छ और घड़ियालों से होता है, तब उन्हें बिना पानी लिए वापस आना पड़ता है।

गौरतलब है कि 2013 में पानी पीने गए चौदह साल के किशोर को मगरमच्छ ने अपना शिकार बना लिया था। जनप्रतिनिधियों के लिए इस गांव के लोग वोट से बढ़कर कुछ भी नहीं है। यहां के ग्रामीण कई बार प्रशासनिक अधिकारी से भी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन अधिकारियों ने इस समस्या का कोई समाधान नहीं किया।