हे नाथ सुनो… सेक्स के जरिए सरकार गिराने का स्कैंडल तो जांच कमजोर क्यों..?

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राघवेनदर

मध्यप्रदेश की धरती पर चार दिन पहले सेक्स स्कैंडल का धमाका जब गूंजा तो देशभर में इसकी चर्चा शुरू हुई। जांच के चलते यह भी कहा जाने लगा कि किसी का कुछ नहीं बिगड़ना है। सत्ता और विपक्ष के साथ आईएएस और आईपीएस के चेहरों पर भी कालिख पुती हुई है। देश की इस चर्चित घटना में भले ही पांच सेक्स कुमारियां पकड़ी गईं हों, लेकिन जांच होगी तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। इस मामले को देखते हुए 1989-90 का एक अंतर्राष्ट्रीय सेक्स स्कैंडल याद आ रहा है।

पुराने पाठकों को याद होगा कि हरियाणा की एक छोरी पामेला सिंह चौधरी जिसे लोग पामेला बोर्डेस के नाम से जानते हैं, उसने भी इंग्लैंड की सरकार को अपने रूप के जादू से हिलाकर रख दिया था। भारतीय मूल की पामेला मिस इंडिया भी रह चुकी है। हालांकि अब वो गुमनामी में है। लेकिन आज उसका जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पामेला के मुकाबले यह कुछ टुच्ची और लुच्ची किस्म की पांच बालाएं अपनी कामुकता के चलते शरीफ मंत्री और इमानदार के साथ सज्जन अधिकारियों का काम करना तो ठीक जीना भी हराम कर रही हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाते समय तक सत्ता के गलियारों में एक बात खम ठोंककर की जा रही है कि पूरे मामले में लीपा-पोती कर ली गई है, किसी का बाल भी बांका नहीं होने वाला। हमारी बात यहीं से शुरू होती है।

सत्ता में सेक्स कोई नई बात नहीं है। लेकिन यह सेक्स जब सैन्य अधिकारियों के साथ होता है तो वह हनीट्रैप का शिकार होते हैं अर्थात सौंदर्य और प्यार की आड़ में जासूसी कने वाली विषकन्याएं सामरिक महत्व की जानकारियां सैन्य कर्मियों से पता कर लेती हैं। उन्हें नहीं पता होता कि जिनके प्यार में वह महत्वपूर्ण बातें शेयर कर रहे हैं वह दुश्मन देश तक पहुंच जाएंगी। इसी तरह बॉलीवुड में एक टर्म है ‘कॉस्टिंग काउच।’असल में यह कॉस्टिंग काउच उनके लिए इस्तेमाल होता है जो लड़कियां फिल्म या सीरियल में रोल पाने के लिए निर्माता-निर्देशकों के दबाव में शरीर का सौदा भी करती हैं। लेकिन यहां स्थिति अलग है। हमारे माननीय मंत्रिगण, विधायक और नौकरशाह अंजाने में सेक्स कुमारियों के चक्कर में नहीं फंसे, बल्कि वह तो मजे लेने के लिए उनके साथ हमबिस्तर हुए और हमबिस्तर होने के पहले एनजीओ से लेकर तबादले और असली-नकली कामों के भुगतान की फाइलों पर दस्तखत किए।

यह अफसर मुगले आजम की अनारकलियों की तरह मासूम नहीं हैं। लाखों मतदाताओं को सपने दिखाकर चुनाव जीतते हैं। देश की सबसे बड़ी परीक्षा यूपीएससी पास कर यह अधिकारी बनते हैं। भला यह हनी से ट्रैप कैसे हो जाएंगे। खबर तो यह तक है कि पहले यह खिड़की से झांककर सेवा में आई नीचे खड़ी हुई लड़की पसंद आने पर फाइल पर दस्तखत करते थे। अब ऐसे मामलों में जांच का विषय यह भी होना चाहिए कि ऐसी कितनी सैकड़ों मामले हैं जिनमें करोड़ों के ठेके और भुगतान की फाइलों पर मंत्री और अफसरों ने सेक्स में अंधे होकर उन पर साइन किए। दरअसल भुगतान की रकम मंत्री और अफसरों की जेब से नहीं, सरकारी खजाने से गई है।

अच्छे नेता और अफसर मुश्किलमें
सेक्स स्कैंडल को लेकर जो डेढ़ सौ लोगों की एक हजार सीडी की बात कही जा रही है, उसमें सोशल मीडिया पर संकेतों में नेता और अफसरों का भी जिक्र हो रहा है। यदि जांच में एक हजार सीडी हैं तो पुलिस उसे नाम सहित जितना जल्दी उजागर करेगी उतना मंत्री-अधिकारियों के लिए बेहतर होगा। वरना हो यह रहा है कि जो चरित्रवान और इमानदार नेता-अधिकारी हैं वह भी शक के दायरे में आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर इनके मजे भी लिए जा रहे हैं।
इनकमटैक्स वाले क्या आंखें मूंदे हैं…
छोटे-मोटे बेनामी आय के मामलों में आयकर विभाग के नोटिस लोगों तक पहुंच जाते हैं। लेकिन पिछले चार-पांच दिनों से सेक्स स्कैंडल में लाखों-करोड़ों के भुगतान के सबूत मिलने के बाद भी आयकर विभाग के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान नहीं लिया है। किसी हरभजन सिंह से नहीं पूछा गया कि सेक्स कुमारियों को देने के लिए 50 लाख की रकम कहां से आई और न ही स्कैंडल से जुड़ी महिलाओं से पूछा गया कि आखिर महंगी कारें और लाखों रुपए हर महीने का खर्च वह कहां से लाती हैं। अगर इनकमटैक्स विभाग ही ठीक से जांच करे तो प्याज के छिलकों की तरह कई चौकाने वाले रहस्य सामने आ सकते हैं।

कहीं तार देशद्रोहियों से तो नहीं जुड़े?
सेक्स स्कैंडल की जांच ठीक से हुई तो जो मामले एनजीओ और सरकार के काम-काज में दखल देने से जुड़े दिख रहे हैं, उनके संबंध विदेशी खुफिया एजेंसी से भी जुड़े हो सकते हैं। प्रदेश में पिछले महीने ही आईएसआई से जुड़े एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ जो टैरर फंडिंग के लिए काम कर रहा था। मंत्रियों और अधिकारियों से जुड़े इस स्कैंडल को हल्के से लेना प्रदेश और देश के लिए मुश्किल भरा भी हो सकता है।
भाजपा, कांग्रेस और संघ के नेता भी
जांच में पता चला है कि भाजपा, कांग्रेस और संघ के नेताओें के नाम भी हैं। इनमें कमलनाथ सरकार के 3 मंत्री, 3 पूर्व मंत्री, एक पूर्व सांसद, 5 सीनियर आईएएस, 4 सीनियर आईपीएस, 2 एएसपी, 3 सीएसपी, 10 बड़े बिल्डर प्रमुख हैं। करीब 28 विधायक भी सेक्स गैंग के टारगेट पर थे।
– सियासत में सेक्स स्केंडल से याद आई पामेला…
 ‘कॉलगर्ल्स’ बनकर हिलाई ब्रिटेन की सरकार
खूबसूरती की दुनिया से लेकर हथियारों की दुनिया में चलता था सिक्का, अब पहचान छुपाने को मोहताज.
    पामेला सिंह चौधरी भारतीय सेना के अधिकारी की बेटी हैं, जिनका जन्म दिल्ली में हुआ. हरियाणा से ताल्लुक। ये जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की और उसके बाद दिल्ली के प्रसिद्ध कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज से पढ़ाई की. 1982 में इन्होंने मिस इंडिया का ताज जीता और उसी साल मिस यूनिवर्स के लिए भारत की तरफ से भाग लिया. इसके बाद ये यूरोप चली गई, जहां हेनरी बोडर्स से शादी कर ली. जहां से इनका नाम पामेला सिंह से पामेला बोर्डस हो गया.

पामेला सिंह ने अमेरिका में न्यूयोर्क के पार्सन्स स्कूल ऑफ डिजाइन, फ्रांस के पेरिस स्थित अमेरिकन कॉलेज व अमेरिका के न्यूयोर्क में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ फोटोग्राफी में अध्ययन किया. उन्हें ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी करने का बड़ा चाव था. उन्होंने विश्व के विभिन्न हिस्सों में काम किया और विभिन्न पत्रों और पत्रिकाओं के लिए काम किया.

भारत में पैदा हुई पामेला मूलतः फोटोग्राफर बनी और 1988-89 में उस समय दुनिया भर में सुर्खियों में रही, क्योंकि इनका नाम अपने समय प्रसिद्ध व्यक्तियों के साथ जुड़ने लगे. यह बात सब जगह फैल गई कि पामेला इन फेमस लोगों की मिस्ट्रेस और एस्कोर्ट के रूप में सुर्खियों में रही. उसके पास ब्रिटिश सांसद का पास था और उसकी शादी हथियारों के एक डीलर से हुई थी लेकिन ये शादी ज्‍यादा समय तक टिक ना सकी। सबसे ज्यादा सनसनी तो उस समय फैली जब यह खबर फैली कि हथियारों के डॉन डीलर अदनान खाशोगी के साथ संबंध का खुलासा हुआ. जब 1989 में इस पूरे स्‍कैंडल का भंडाफोड़ हुआ तो वो अज्ञातवास में चली गई और ब्रिटेन की सरकार गिराने की बात कहने लगी।

एक मैगजीन ने खुलासा किया था कि पामेला बोर्डेस नाम की ये सुंदरी दोहरी जिंदगी जीती है। वो एक सत्तारूढ टोरी पार्टी के एक सांसद की रिसर्च असिस्‍टेंट के साथ-साथ कॉलगर्ल भी है जिसके बेडरूम के कारनामे किसी घोटाले से कम नहीं हैं। इस मामले में ब्रिटेन सरकार के कई बड़े नाम भी सामने आए थे जिन्‍हें पामेला का ग्राहक बताया गया था। इसमें सिर्फ टोरी सांसद ही नहीं बल्कि दो ताकतवर हैसियत वाले एडिटर, इंटरनेशन लेवल का हथियार डीलर, एक कैबिनेट मंत्री और एक प्रमुख लीबियाई खुफिया अफसर शामिल था।

क मैगजीन ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि पामेला बोर्डेस सामान्‍य दिन पर 500 पाउंड और वीकएंड पर 2000 पाउंड में उनके एक रिपोर्टर के साथ सोने के लिए तैयार हो गई थी। जब ब्रिटिश मीडिया ने पामेला की जिंदगी को अश्‍लील तरीके से पेश करना शुरु किया तो पामेला अपना 7 लाख 50 हज़ार पाउंड का शानदार पेंटहाउस छोड़कर किसी गुमनाम जगह पर रहने चली गईं।

इसके अलावा पत्रकारिता जगत के संपादकों के साथ संबंधों को लेकर भी सुर्खियां बनती रहीं, जिनमें संडे टाइम्स के संपादक एंड्रयू नील थे, द ओबसर्वर के तत्कालीन संपादक डोनाल्ड ट्रेल्फार्ड और कनिष्ठ मंत्री कोलिन मोनिहान की भी साथी रहीं. द इवनिंग स्टैंडर्ड और डेली मेल ने आरोप लगाते हुए कहा किपामेला लीबिया के एक सुरक्षा अधिकारी अहमद गदफ अल दाइम से जुड़ी हुई थीं, इसमें 1960 के दशक में प्रोफुमो मामले से मिलते जुलते मुद्दे उठाए गये या अधिक व्यापक रूप से कहा जाए तो ये मुद्दे प्रथम विश्व युद्ध की जासूस माता हारी से मेल खाते थे.
उन्‍होंने अपने एक मित्र पत्रकार से यह लिखवाया कि वो ऐसे राज़ जानती हैं कि जिन्‍हें अगर वो उजागर कर दें तो ब्रिटेन की सरकार गिर सकती है।

लोगों को लगा कि अचानक मिली शोहरत से वो इसका ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदा उठानी चाहती हैं। वह कोई आम लड़की नहीं थी बल्कि हर बड़े आयोजन में वो रईसों के इर्द-गिर्द मौजूद रहती थी। 3 हज़ार पाउंड की सैलरी लेने वाली लड़की का रईसों की पार्टी में होना कुछ हजम नहीं होता था। इस बात के भी सबूत मिले थे कि वो ब्रिटेन के राजनेताओं के साथ हमबिस्‍तर होने के पैसे लिया करती थीं लेकिन उनके हमबिस्‍तर होने के कोई सबूत नहीं मिले। डेली मेल की एक स्टोरी में उन्हें गोवा में गुमनाम जिंदगी जीते हुए बताया गया है.

 लेखक IND24 के प्रबंध संपादक हैं