डाॅ.अनिता ठक्कर
हम हिंदुस्तानियों के लिए “हिंदी हैं हम, वतन है हिंदोस्तां हमारा” यह पंक्ति अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है। हिंदी भाषा भारत वर्ष की पहचान है। यह देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है इसीलिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हर साल हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं।
दिनांक 10 और ११ नवम्बर,१९५३ को नागपुर में अखिल भारतीय राट्रभाषा प्रचार सम्मेलन का पांचवाँ अधिवेशन काकासाहेब गाडगील की अध्यक्षता में हुआ।उस अधिवेशन में यह विचार सामने आया कि जब तक ” हिंदी को अंग्रेजी के स्थान पर पूर्ण रुप से राजभाषा का अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक १४ सितंबर को ‘ हिंदी- दिवस’ के रुप में हर साल स्मरण करना चाहिए।”१४ सितंबर,१९४९ को संविधान – सभा ने सर्वसम्मति से देवनागरी लिपि में लिखी जानेवाली हिंदी भाषा को देश की राजभाषा के गौरवपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित तो कर दिया किंतु अगले १५ वर्ष, अर्थात् सन् १९६५ तक सहायक राजभाषा के रुप में अंग्रेजी बनी रहेगी यह भी कहा गया था।अतः उक्त अधिवेशन में जो औपचारिक प्रस्ताव पारित किए गए उनमें छठवाँ प्रस्ताव ‘ हिंदी- दिवस’ के संदर्भ में था, जो इस प्रकार है— ” यह सम्मेलन निश्चय करता है कि स्वतंत्र भारत के संविधान ने जिस दिन हिंदी को राजभाषा तथा देवनागरी को राष्ट्रलिपि स्वीकार किया है, उस दिन अर्थात् १४ सितंबर को संपूर्ण भारत में ‘ हिंदी- दिवस’ मनाया जाए।”
प्रथम हिंदी दिवस १४ सितम्बर, १९५४ को मनाया गया और तब से लेकर आज २०२० तक यह दिवस राष्ट्रीय कार्यक्रमों का एक अंग बन गया है।हिंदी प्रचार संस्थाएँ ही नहीं, बल्कि विद्यालयों- विश्वविद्यालयों से लेकर केन्द्रीय सरकार के सभी कार्यालयों, सेना के विभिन्न संस्थानों, बैंकों, निगमों और विभिन्न प्रकार की अन्य संस्थओं में अब इस दिवस को राष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाता है।बैंकों, बीमा निगमों और जनसंपर्क रखनेवाली विभिन्न संस्थाओं में तो यह एक दिवस न होकर ‘ हिंदी सप्ताह’ और ‘ हिंदी पखवाड़ा (१५ दिवस तक)के रुप में मनाया जाने लगा है।
प्रथम हिंदी दिवस १४ सितम्बर, १९५४ को मनाया गया और तब से लेकर आज २०२० तक यह दिवस राष्ट्रीय कार्यक्रमों का एक अंग बन गया है।हिंदी प्रचार संस्थाएँ ही नहीं, बल्कि विद्यालयों- विश्वविद्यालयों से लेकर केन्द्रीय सरकार के सभी कार्यालयों, सेना के विभिन्न संस्थानों, बैंकों, निगमों और विभिन्न प्रकार की अन्य संस्थओं में अब इस दिवस को राष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाता है।बैंकों, बीमा निगमों और जनसंपर्क रखनेवाली विभिन्न संस्थाओं में तो यह एक दिवस न होकर ‘ हिंदी सप्ताह’ और ‘ हिंदी पखवाड़ा (१५ दिवस तक)के रुप में मनाया जाने लगा है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजी को शासन से हटाकर राष्ट्रभाषा हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं को अपने- अपने राज्य में प्रतिष्ठित करने की उचित सलाह दी।हमें शासन केअंग्रेजी के हुकुमत से पहले आज़ाद होना पड़ेगा।उसके बाद ही सारे देश की गुलामी हटाई जा सकेगी।इसे संकल्प मानकर पूरा करना है इसके बिना अंग्रेजी की गुलामी से उद्धार नहीं है।
मैं भारत मां के माथे की बिंदी,
मैं भारत मां की बेटी आपकी अपनी हिंदी।