पीपली लाइव ने कैसे पंचर किया आलीशान रथ को …..

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ब्रजेश राजपूत की ग्राउंड रिपोर्ट

वैसे तो उस दिन की सबसे बडी खबर जन आशीर्वाद यात्रा के रथ की रवानगी ही थी। पंद्रह साल की सरकार का सीएम फिर चुनावी रथ पर सवार होकर सत्ता बनाने के लिये वोट मांगने निकल रहा है। इससे बडी बात भला क्या हो सकती है। रीजनल चैनल वाले उत्सवी मूड में ही थे सरकार की जय जय करने के लिये तो हम नेशनल चैनल वाले भी चुनाव से जोडकर स्टोरी चलाते। रथ को रवाना कर बीजेपी दफतर से निकलते ही अभिषेक का फोन आया कि सर मिसरोद के किसी अपार्टमेंट में कोई लडका किसी लडकी को बंधक बना कर बैठा है। बस फिर क्या था गाडी दफतर की जगह मिसरोद की ओर मुड गयी।
How did Peepli Live puncture the chariot …..
मिसरोद की फारचून डिवाइन सिटी के ई टू ब्लाक के नीचे पुलिस की गाडियों का डेरा था। नीचे से ही पहचान के पुलिस वाले ने इशारा किया कि पहुंच जाइये पांचवीं मंजिल पर। उपर पहुंचते ही अजब नजारा था फलेट नंबर 503 में पुलिस और मीडिया के साथियों का कब्जा था। पुलिस के लोग डाइंग रूम में भारी तनाव में थे तो अखबार और टीवी के रिपोर्टर बेडरूम में घुस कर बैठे लडके से वीडियो कालिंग कर रहे थे। पता चला कि रोहित नाम का युवक इस घर की विभा के कमरे में तमंचा लेकर घुसा है, लडकी अन्दर हें और लड़का कमरा खोलने को तैयार नहीं है।

पुलिस ने एक बार घुसने की कोशिश की तो लड़के ने कैंची से एसआई को घायल कर दिया। उसके सिर पर खून सवार है और उसकी डिमांड पर ही मीडिया को बुलाया गया है। लड़के से बातचीत मीडिया के साथी ही कर रहे थे, चेनल के नाम और माइक आईडी दिखाकर उसे बताया जा रहा था कि कौन यहां कमरे के बाहर मौजूद है, अचानक वो कहता है कोई नेशनल चैनल नहीं दिख रहा तो मेरे चैनल की माइक आईडी दिखाकर बताया गया कि लो अब एबीपी न्यूज भी आ गया अब तो बाहर आ जाओ।

मगर वो सिरफिरा युवक तो बस मीडिया की आड लेकर पुलिस से बचना चाह रहा था। इस फलैट के सामने के फलेट पर भी पुलिस और मीडिया का ही डेरा था। दोनों चैनलों के कमरों में आ जाकर टीवी रिपोर्टर लाइव चैट कर रहे थे और जो काम का आदमी दीखता उसके आगे माइक लगाकर सवाल जवाब हो रहे थे, चैनलों पर ये घटना लाइव प्रसारित होते ही बिल्डिंग के नीचे तमाशबीनों की भीड लगने लगी थी। मीडिया का जमावडा भी लगातार बढता ही जा रहा था। एक दो चैनलों की ओवी वैन आ गयीं थीं। कुल मिलाकर मजमा जुडता जा रहा था। जैसे जैसे वक्त गुजर रहा था पुलिस का बंदोबस्त बढता जा रहा था।

टीवी चैनलों के लिये ये मनमाफिक खबर थी जिसमें घनघोर लाइव इनपुट और रोमांच था। इसलिये नये नये तरीके से इसे फैलाया जा रहा था कुछ चैनलों के एंकर भी स्टूडियो छोड ग्राउंड जीरो पर आ गये थे और चीख चीख कर दावा कर रहे थे कि हम आपको घटनास्थल से पल पल की खबर दिखा रहे हैं। होशंगाबाद रोड पर बनी ये छोटी सी सोती हुयी कालोनी डिवाइन सिटी अब तक पीपली लाइव में बदल चुकी थी। अपार्टमेंट के हर कोने पर कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ हो रहा था।

कहीं पुलिस तैनात थी तो कही फायर ब्रिगेड की हाइडोलिक क्रेन तो कहीं पेड काटने की मशीन लेकर खड़ा एनडीआरएफ का टक, दो एंबुलेंस भी अपनी बत्तियां जलाकर भागने के लिये तैयार खडी थी। मगर वो कमबख्त सिरफिरा आशिक कमरे से निकलने को तैयार नहीं था। हाँ नयी नयी फरमायश जर्रो क्र रहा था उसे उपर छत से बाल्टी लटकाकर पानी दूध भेजा जा रहा था। नीचे भीड और मीडिया का बढता मजमा देख वो भी हाथ हिलाकर ओर वी फार विक्टी का निशान बनाकर खुशी जाहिर करता। बीच में उसने वो स्टांप पेपर भी लहराया जिसमें उसकी और लडकी की शादी की बात लिखी थी।

ये सारा कुछ रीजनल चैनलों पर लाइव तो चल ही रहा था ढेर सारे नयी उमर के लडके भी ये सब अपने मोबाइल में कैद कर फेसबुक पर लाइव और अपडेट कर रहे थे। लाल बनियाइन पहने वो सिरफिरा अपने आपको हीरो समझ रहा था और नीचे के लोग भी उसका हौसला बढाने में कोई कसर नहीं छोड रहे थे। कुछ तो उसके साथ इतनी दूर से ही सेल्फी ले रहे थे। इस लाइव बने एपीसोड का चरम तो तब आया जब फायर ब्रिगेड की हाइडोलिक क्रेन पर चढकर एसीपी राहुल एडीशनल एसपी धर्मवीर यादव और एडीएम दिषा नागवंशी पांचवी मंजिल की जाली पर खडे उस युवक से बात करने उस उंचाई तक पहुंचीं। बस फिर क्या था ये विजुअल कैद करने की होड सी लग गयी।

एक तरफ पुलिस उस पागल लडके को कमरे से निकालने के लिये नयी नयी रणनीति बना रही थी तो उधर अपार्टमेंट का महिला मंडल अलग तैयारी से बैठा था। दरी पर बैठी महिलाएं चप्पल उतार कर बैठी थीं कह रहीं थी ये सिरफिरा निकला तो उसकी ठुकाई इन चप्पलों से करनी हैं। सोसाइटी के दफतर की बैंच पर बैठे बुजुर्ग अलग चिंता में डूबे थे। कैसे कोई किसी के घर में हथियार लेकर घुस सकता है। ऐसे तो कोई भी सुरक्षित नहीं हैं। अपनी बेटी को स्कूल से लेकर लौट रहीं महिला ने बेहद पते की बात कही सोचिये कैसा समाज बना रहे हैं हम ये बच्चियां ना बाहर सुरक्षित हैं और ना घर में।

कब तक इनको हम पल्लू में छिपाकर रखें। खेर तकरीबन बारह घंटे बाद बंधक संकट रात सात बजे ख़तम हो गया मगर सवाल छोड़ गया, ये कैसा समाज और कैसा मीडिया बना रहे हैं हम आप। थाइलैंड की घटना से सीखे कि कैसे बडे बडे बचाव अभियान तमाशबीनों और मीडिया के कैमरों से दूर ठंडे दिमाग से चलाये जाते हैं। और आखिर में बीजेपी की जनआशीर्वाद यात्रा के लिये तैयार ढाई करोड का आलीशान रथ कब बीजेपी के दफतर से उज्जैन पहुंच गया कोई चैनल नहीं दिखा पाया। बाद में बीजेपी के एक नेता ने ताना दिया यार आपकी पीपली लाइव ने हमारे रथ को पंचर कर दिया।

ए बी पी न्यूज, भोपाल